उनके पास सरकार के मानदंडों के अनुसार भूमि उपलब्ध है. साथ ही भवन उपलब्ध है. योग्य व्याख्याता वर्षों से अपनी सेवा दे रहे हैं. महाविद्यालयों की क्षमता के अनुरूप उसमें स्टूडेंट्स भी उपलब्ध है, लेकिन ऐसे कॉलेजों में समुचित आर्थिक मदद के अभाव में कर्मी काफी कम वेतन पर सेवा दे रहे हैं.
कॉलेज शिक्षक 5 से 25 हजार तक के भुगतान पर जीवनयापन कर रहे हैं. ऐसे अधिकांश महाविद्यालय ग्रामीण क्षेत्र में हैं. ऐसे महाविद्यालय में अंगीभूत कॉलेजों की तुलना में फीस भी अधिक लिये जाते हैं, लेकिन बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. ऐसे में सरकार का दायित्व बनता है कि वह उचित कार्यवाही कर ऐसे महाविद्यालयों के अंगीभूतीकरण की पहल करे.