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स्कूल वैन संचालन में नियमों की अनदेखी, आठ सीटर पर बैठाते हैं डेढ़ दर्जन बच्चे

धनबाद: धनबाद के स्कूलों के बच्चों को ढोनेवाली वैन में परिवहन विभाग के नियमों की भारी अनदेखी हो रही है. वैन में सुरक्षा के कोई उपाय नहीं रहते हैं. जिले के निजी स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने के लिए लगभग 100 वैन चल रही है. बस, अॉटो समेत कई तरह की छोटी-बड़ी गाड़ियां में […]

धनबाद: धनबाद के स्कूलों के बच्चों को ढोनेवाली वैन में परिवहन विभाग के नियमों की भारी अनदेखी हो रही है. वैन में सुरक्षा के कोई उपाय नहीं रहते हैं. जिले के निजी स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने के लिए लगभग 100 वैन चल रही है. बस, अॉटो समेत कई तरह की छोटी-बड़ी गाड़ियां में क्षमता से अधिक बच्चे ढोये जा रहे हैं.
बच्चों की जान सांसत में : नियमानुसार मारुति वैन (अोमिनी) पांच सीटर या आठ सीटर होते हैं. कंपनी के नियमानुसार इसी आधार पर डीटीओ ऑफिस में इसका निबंधन होता है. धनबाद में स्कूली बच्चों को ढोनेवाली पांच सीटर वैन में आठ से नौ तथा आठ सीटर वैन में करीब डेढ़ दर्जन बच्चों को ठूंस-ठूंस कर बैठाया जाता है. मौसम चाहे सर्दी का हो, गर्मी का या बरसात का, वैन में सालों भर स्कूली बच्चों को ठूंस कर ले जाया जाता है. बच्चों के स्कूल बैग वैन के ऊपर बने कैरियर में रखा जाता है. गर्मी में बच्चे परेशान रहते हैं. वैन में फर्स्ट एड, सुरक्षा उपकरण आदि की कोई व्यवस्था नहीं रहती है. कई वैन को गैस किट लगाकर घरेलू गैस सिलिंडरों से कनेक्ट कर चलाया जाता है. यह व्यवस्था काफी खतरनाक है. धनबाद में कई बार हादसा हो चुका है. वैन में आग लग चुकी है आैर स्कूली बच्चे झुलस चुके हैं.
निबंधन निजी, उपयोग व्यावसायिक
स्कूली बच्चों को ढोनेवाली वैन का निबंधन निजी उपयोग के लिए कराया जाता है. निजी निबंधन पर ही वैन का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है. इसी तरह सीएनजी की जगह वैन में घरेलू गैस सिलिंडरों का उपयोग किया जाता है. नियमानुसार गैस किट का उपयोग के लिए डीटीओ से अनुमति लेनी पड़ती है. वैन के अलावा मैक्सिमा, मैजिक व ऑटो से भी बच्चों को ढोया जा रहा है. एक ऑटो में 11 से 12 बच्चों को बैठाया जाता है. बच्चे साइड में लटके रहते हैं. पुरानी व खटारा वैन स्कूलों में उपयोग हो रही है. वैन से बच्चों को स्कूल भेजने की जिम्मेवारी अभिभावकों की है. अभिभावक ही बच्चों को स्कूल भेजने के लिए किराये पर वैन, ऑटो व बस तय करते हैं. धनबाद के स्कूलों में चल रही अधिकांश बसें भी खटारा हैं. बस सड़कों पर अनफिट घोषित होने के बाद स्कूली बच्चों को ढोने के काम में लगा दी जाती हैं. परिवहन विभाग की ओर से चेकिंग के दौरान स्कूल वैन व खटारा बसें रास्ता बदल लेती हैं. अगर स्कूल में चेकिंग हो रही है तो ड्राइवर कुछ दूरी पर ही बच्चों को उतार कर चल देता है.
बच्चों की सुरक्षा को ले विभाग गंभीर : डीटीआे
परिवहन विभाग स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है. स्कूल बस हो या वैन सभी को नियमों का पालन करना है. विभाग की ओर से चेकिंग भी चलायी जा रही है. स्कूली बच्चों की परेशानी को देखते हुए नरमी बरती जा रही है. नियमों की अनदेखी करने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी.
पंकज कुमार साह, डीटीओ

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