सात माह (जनवरी से जुलाई 2017) की बात करें तो पीएमसीएच में 352 मरीज भरती हो चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा 167 प्वाइजनिंग, 145 बर्न व 30 हैंगिंग के केस आये हैं. 10 केस दूसरे मामले से जुड़े हैं. पीएमसीएच के मनोचिकित्सक डॉ संजय कुमार कहते हैं डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है. कुछ यही स्थिति कोयलांचल की भी है.
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अवसाद के कारण बढ़ी है आत्महत्या की प्रवृत्ति
धनबाद : बेकारबांध की रहने वाली 16 वर्षीय ललिता (बदला हुआ नाम) जहर खाकर पीएमसीएच पहुंची. पूछताछ में बताया कि पढ़ाई को लेकर बड़े भाई ने डांटा था. इसके बाद बगल के एक दुकान से जहर खरीद कर खा लिया. जरा सी बात पर लड़की का ऐसा कदम उठा लेना परिजनों के लिए चिंता का […]
धनबाद : बेकारबांध की रहने वाली 16 वर्षीय ललिता (बदला हुआ नाम) जहर खाकर पीएमसीएच पहुंची. पूछताछ में बताया कि पढ़ाई को लेकर बड़े भाई ने डांटा था. इसके बाद बगल के एक दुकान से जहर खरीद कर खा लिया. जरा सी बात पर लड़की का ऐसा कदम उठा लेना परिजनों के लिए चिंता का विषय था. दरअसल सामाजिक-आर्थिक कारणों से अवसाद की चपेट में आकर कोयलांचल में युवा वर्ग तेजी से आत्महत्या की ओर प्रेरित हो रहा है. पीएमसीएच में हर दिन दो से तीन मरीज आ रहे हैं.
14-25 के उम्र वालों में जहरखोरी के मामले ज्यादा : पीएमसीएच में आत्महत्या के लिए जहर खाने वाले में 14 से 25 उम्र वाले युवा ज्यादा हैं. यह युवा फिनाइल, केरोसिन, चूहा मारने की दवा, मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती, वाइटनर, कीटनाशक, रोगर, सल्फास, खाते हैं. जहर के बाद हैंगिंग या बर्न होने के केस अधिक हैं. वहीं 25 से लेकर 35 के उम्र के लोगों में आत्महत्या की प्रवृति में बर्न के मामले सबसे ज्यादा आये हैं. इसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है.
अस्पताल में मरीज बोलते हैं झूठ
: अात्महत्या की कोशिश करने के बाद पीएमसीएच आने वाले मरीज के परिजन प्राय: पुलिस व चिकित्सकों से झूठ ही बोलते हैं. यदि किसी ने जहर खा लिया तो परिजन कहते हैं दवा समझ कर गलती से खा लिया. जब कोई बर्न होकर अस्पताल आता है, तब परिजनों का रटा-रटाया जवाब होता है, खाना बनाने में घटना घटी है. टुंडी के एक मरीज ने पीएमसीएम में आकर बताया था कि सांप ने काटा है, जब मौत हुई तो पोस्टामार्टम के बाद जहर निकला.
शारीरिक हावभाव से चल सकता है पता : डॉ कुमार के अनुसार कभी-कभी हम आत्महत्या करने वाले के हाव-भाव, तौर-तरीके देखकर सचेत हो सकते हैं. यदि मरने की बात करने वाला, जिंदगी को अच्छा नहीं बताने वाला, अचानक से किसी कारणों से अलविदा या गुडबाय करने वाला, अपनी किसी प्यारी चीज को किसी को यू हीं दे देना, लोगों के बीच में नहीं रहने वाला कभी-कभी आत्महत्या करने वाला भी हो सकता है. ऐसे लोगों के साथ संवेदनशील बनकर, परेशान व्यक्ति की पूरी बात सुनकर समझाया जा सकता है.
बीज से ज्यादा बेचे जा रहे कीटनाशक
पीएमसीएच में ग्रामीण क्षेत्र से जहर खा कर आने वाले लोगों में कीटनाशक का सेवन करना ज्यादा देखा गया है. यहां आने वाले मरीजों का कहना है कि उन्होंने बीज भंडार या इसी तरह की किसी दुकान से कीटनाशक खरीदी थी. ग्रामीण सब्जी व खेत में डालने की बात बोलकर कीटनाशक खरीदते हैं. वहीं नियमों की परवाह किये बिना ये बीज भंडार व दुकान वाले लोगों को कीटनाशक दे दे रहे हैं. यहां बीज से ज्यादा कीटनाशक ही बेचे जा रहे हैं.
सामाजिक, आर्थिक व स्वास्थ्य संबंधी कारण प्रमुख
डॉ संजय कुमार का कहना है कि आत्महत्या की सोच के पीछे मोटे तौर पर तीन कारण सामाजिक, आर्थिक व स्वास्थ्य संबंधी परेशानी मुख्य हैं. सामाजिक कारणों में अफेयर, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर व वैवाहिक जीवन से संबंधित वजहें होती हैं. इसके अलावा टीबी, मोबाइल, परिवार, दोस्तों, जान पहचान वालों के साथ आने वाली परेशानियों के चलते भी लोग यह कदम उठाते हैं. आर्थिक कारणों में व्यवसाय का डूबना, नौकरी छूट जाना, नौकरी नहीं होना, आय का साधन नहीं होना, कर्ज नहीं चुकाना जैसी चीजें आती हैं. मेडिकल कारणों में लाइलाज शारीरिक व मानसिक बीमारी, गहरे डिप्रेशन में चला जाना आदि. ओल्ड एज में तनाव जैसे कई कारण होते हैं.
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