भौंरा: चार दिन पूर्व मनसा पूजा की रात कुणाल ने रेनबो ग्रुप के संस्थापक धीरेन रवानी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. उसी हादसे में भीड़ ने कुणाल को पीट-पीट कर मार डाला था. सोमवार की रात धनबाद कारा मंडल से पेरोल पर छूटने के बाद शंकर रवानी ने पीएमसीएच में जाकर अपने पुत्र मृतक कुणाल रवानी का शव लेकर रात साढ़े नौ बजे भौंरा गौरखूंटी स्थित घर पहुंचे.
सुलहनामा का प्रयास किया था : शव को घर के अंदर रखने के बाद मृतक की मां बालिका देवी ने रोते हुए कहा कि दो वर्षों से मैं बेटा और पति को बचाने के लिए दौड़ती रही हूं. धीरेन रवानी से सुलहनामा के लिए प्रयास किया. लेकिन कुछ लोगों के कारण धीरेन रवानी ने सुलहनामा नहीं किया.
अंतिम संस्कार के समय मोहलबनी घाट पर कुणाल का मामा डीएन सिंधु, अशोक रवानी, विनोद रवानी, मां बालिका देवी, मौसी रेखा देवी, वंदना देवी, नानी श्यामल रवानी, हरेंद्र यादव आदि थे. गौरखूंटी में मृतक कुणाल का शव जब पहुंचा तो आसपास के लोग अपने घरों की छत पर खड़ा होकर शव को देख रहे थे. पुलिस कस्टडी में शंकर रवानी थे. पूरा गौरखूंटी पुलिस छावनी में तब्दील था.