आम मरीजों का प्राथमिक उपचार नहीं किया गया. बुखार, सहित जेनरल मरीजों को अस्पताल से बिना इलाज के ही लौटना पड़ा. हालांकि आम दिनों की अपेक्षा डॉक्टरों की हड़ताल के वजह से कम मरीज ही पहुंचे. इससे मरीज पंजीयन कक्ष, ड्रेसिंग कक्ष के कर्मी बैठे रहे. इस बाबत पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉक्टर एससी झा ने कहा कि हड़ताल का असर सरकारी अस्पतालों में नहीं है. सभी सेवाएं चल रही हैं.
सरकारी चिकित्सकों के अन्य मांगों कार्यसीमा निर्धारण, विशेषज्ञ कैडर, डेंटल कैडर, नये प्राइवेट प्रैक्टिस गाइडलाइन पर वापसी मामले में सरकार का बिल्कुल ही ध्यान नहीं है. एक तरफ पूरे राज्य में डॉक्टरों की कमी है. बावजूद डॉक्टरों पर सरकार का सहयोगात्मक रवैया नहीं है. ज्यादे काम ले रही है और दंडात्मक कार्रवाई भी कर रही है. उनलोगों ने कहा आखिरी दिन 30 सितंबर को प्राइवेट डॉक्टर भी कार्य बहिष्कार में सम्मिलित होंगे. इसके बाद दो अक्तूबर को राज्य के सभी सरकारी डॉक्टर अपना त्यागपत्र संघ के माध्यम से जमा करेंगे, जिसे 15 अक्तूबर को झारखंड के मुख्यमंत्री को सौंपा जायेगा.