तब परिजनों ने किसी तरह गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे से संपर्क किया. सांसद ने परिजनों को आर्थिक सहायता दी. इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और हेल्थ सेक्रेटरी से बात की. तब जाकर मंगलवार देर रात रोहन को एम्स में शिफ्ट कराया गया. अब इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि देवघर में एम्स कितना जरूरी है. यदि देवघर में एम्स होता तो रोहन के पिता को जमीन नहीं बेचनी पड़ती. उसे इलाज के धनबाद और उसके बाद दिल्ली की दौड़ नहीं लगानी पड़ती.
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एम्स के लिए दो सौ एकड़ जमीन देने की पेशकश
मधुपुर: शहर के कुंडु बंगला स्थित एक निजी आवास में गोपाल गोशाला मधुपुर की ओर से एक बैठक की गयी. देवीपुर प्रखंड में एम्स निर्माण के लिए दो सौ एकड़ जमीन देने का निर्णय लेते हुए मंगलवार को इस आशय का प्रस्ताव उपायुक्त देवघर को दिया है. इसकी जानकारी विज्ञप्ति जारी कर गोशाला के सचिव […]
मधुपुर: शहर के कुंडु बंगला स्थित एक निजी आवास में गोपाल गोशाला मधुपुर की ओर से एक बैठक की गयी. देवीपुर प्रखंड में एम्स निर्माण के लिए दो सौ एकड़ जमीन देने का निर्णय लेते हुए मंगलवार को इस आशय का प्रस्ताव उपायुक्त देवघर को दिया है. इसकी जानकारी विज्ञप्ति जारी कर गोशाला के सचिव कन्हैया लाल कन्नू ने दी है. उन्होंने बताया कि गोपाल गोशाला का तीन सौ एकड़ जमीन देवीपुर-देवघर प्रखंड के तिलैया, दुहोसुहो व बिजगढा मौजा में है. उन्होंने बताया कि गोशाला कमेटी ने निर्णय लिया है कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार को जरूरत है तो वे दो सौ एकड़ जमीन गोशाला से ले सकती है.
यह जमीन मूल रैयती है और आसानी से एम्स निर्माण के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है. साथ ही बैठक में राज्य सरकार को भी देवीपुर में एम्स निर्माण की स्वीकृति देने के लिए बधाई दी है. बताया कि इससे पिछडे इलाके के लोगों को काफी लाभ होगा. बताया कि पहले इलाज के लोग दिल्ली या दूसरे जगह जाते थे. लेकिन एम्स बनने के बाद गरीब व अन्य लोग देवीपुर में ही आसानी से इलाज करा सकेंगे.
यदि होता एम्स तो नहीं बेचनी पड़ती जमीन
गदेवघर. करौं प्रखंड के सिरियां गांव के रोहन(09 वर्ष) को कई दिनों से बुखार था. बुखार छूट ही नहीं रहा था. उसके परिवार वालों ने उसे धनबाद में प्राइवेट अस्पताल में भरती करवाया. पिछले दस दिनों से वह कौमा में है. धनबाद के डॉक्टर ने जवाब दे दिया. इलाज के लिए परिवार वालों के पास पैसे नहीं थे. स्थिति बिगड़ती देख रोहन के पिता ने जमीन बेच कर रुपये इकट्ठा किये और एयर एंबुलेंस से अपने बेटे को लेकर दिल्ली आये. अब अंदाजा लगा सकते हैं कि एयर ऐंबुलेंस से दिल्ली लाने का किराया तकरीबन 6 लाख रुपये है. दिल्ली लाने के बाद वहां के एम्स में जगह नहीं मिलने पर स्थानीय बीएल कपूर हॉस्पीटल में भरती करवाया. जहां उसका इलाज शुरू हुआ. उसके पास इलाज के पैसे भी नहीं थे.
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