एफआइआर कराने की जिम्मेदारी दंडाधिकारी आशुतोष कुमार को दी गयी है. डीसी के अनुसार, मधुपुर कार्यपालक पदाधिकारी के अलावा अन्य कर्मियों की संलिप्तता की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी. डीसी द्वारा 21 जून को ही आदेश निर्गत कर 48 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए कहा गया है, लेकिन समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
बताया जाता है कि जांच टीम की रिपोर्ट में मधुपुर में लगाये गये एलइडी लाइट व चापानल के टेंडर में गड़बड़ियां मिली है. एलइडी लाइट को लगाने में गुणवत्ता की अनदेखी की गयी है. प्राक्कलन के अनुसार एलइडी लाइट नहीं लगाया गया. चापानल टेंडर में भी नियमों को नजरअंदाज किया गया. वित्तीय अनियमितता भी सामने आयी है. जांच टीम में डीडीसी के अलावा कार्यपालक दंडाधिकारी आशुतोष कुमार, जिला परिषद के कार्यपालक अभियंता कामेश्वर झा समेत एक कनीय अभियंता थे.