देवघर: नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम के अनुसार प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में 30 छात्रों के अनुपात में एक शिक्षक का प्रावधान किया गया है. लेकिन, देवघर के परिप्रेक्ष्य में यहां 40 से अधिक छात्रों पर औसतन एक शिक्षक उपलब्ध है. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो 2.83 लाख के नामांकित छात्रों पर करीब 6500 शिक्षक (सरकारी एवं पारा) कार्यरत हैं.
शिक्षक भी विषयवार उपलब्ध नहीं हैं. नतीजा भाषा के शिक्षक विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक भाषा की पढ़ाई कराते नजर आते हैं. शिक्षक भी मजबूरीवश बच्चों को कक्षा से जोड़े रखने के लिए विभिन्न विषयों की पढ़ाई कराते हैं. अधिनियम लागू होने के बाद राज्य की सरकार एवं स्थानीय प्राधिकार को कर्तव्य व उत्तरदायित्व भी दिये गये. आसपास का क्षेत्र व सीमाएं चिह्न्ति किये गये.
छात्रों को शैक्षणिक सुविधा प्रदान करने के लिए सीमा क्षेत्र के अंतर्गत विद्यालय भी स्थापित किये गये. कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों के लिए प्रत्येक एक किलोमीटर की पैदल दूरी पर एवं कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चों के लिए दो किलोमीटर की पैदल दूरी पर विद्यालय की व्यवस्था की गयी. भौगोलिक दृष्टिकोण से कठिन क्षेत्र, आवागमन के दृष्टिकोण से कठिन क्षेत्र या विद्यालय आने-जाने के मार्ग के असुरक्षित होने जैसे मामलों में दूरी की सीमा को शिथिल करते हुए विद्यालय स्थापित किया गया. लेकिन, शैक्षणिक माहौल में विशेष बदलाव नहीं आया.