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ठहर गयी है नगर विकास की योजनाएं

देवघर: देवघर नगर निगम 2016 में भी नगरपालिका के पुराने ढर्रे पर चल रहा है. झारखंड अलग राज्य बनने के 15 सालों बाद भी निगम के क्रियाकलाप में कोई परिवर्तन नहीं आया है. यही कारण है कि नगर विकास की योजनाएं जो स्वीकृत भी हैं, फंड भी वर्षों से पड़ा है लेकिन जनहित की योजनाएं […]

देवघर: देवघर नगर निगम 2016 में भी नगरपालिका के पुराने ढर्रे पर चल रहा है. झारखंड अलग राज्य बनने के 15 सालों बाद भी निगम के क्रियाकलाप में कोई परिवर्तन नहीं आया है. यही कारण है कि नगर विकास की योजनाएं जो स्वीकृत भी हैं, फंड भी वर्षों से पड़ा है लेकिन जनहित की योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पायी है.
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट अब तक नहीं
सबसे आश्चर्य तो यह है कि निगम आज तक कचड़ा फेंकने के लिए जमीन तक उपलब्ध करा पाया है और न ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए प्लांट ही स्थापित कर पाया है. इसलिए आये दिन ट्रेक्टर चालक कचड़ा लेकर प्रदर्शन करते हैं और फिल्ड में कूड़ा फेंकने वाले ट्रेक्टर चालकों को लोगों की विरोध का सामना करना पड़ता है. इसके लिए अब कहा जा रहा है कि कंसलटेंट की बहाली होगी.
रिक्शा चालकों को रैन बसेरा भी नसीब नहीं
निगम की कार्यशैली इस बात से पता चलता है कि ठंड हो या गरमी, आंधी हो या बरसात, रोज रोजी रोटी कमाने वाले रिक्शा चालकों के लिए रैन बसेरा तक नहीं है. एक रैन बसेरा है भी तो वहां ताला बंद रहता है. इन रिक्शा चालकों के लिए न तो शेड और न ही रैन बसेरा का निर्माण करवाया जा सका है.
निगम क्षेत्र के घरों में नहीं पहुंचा पाइप लाइन से पानी
निगम की आबादी को शुद्ध पेयजल भी उपलब्ध नहीं करा पा रहा है नगर विकास विभाग. पाइप लाइन के जरिए सिर्फ आधे से कम शहरी क्षेत्र को पानी मिल पा रहा है. वहीं शहर का आधा भाग और निगम में शामिल 34 गांव तक पाइप लाइन का पानी नहीं पहुंचा है. शहरी पेयजलापूर्ति योजना का फेज-1 चालू है, फेज टू अभी तक चालू नहीं हो पाया है.
कई मुहल्लों में नहीं बन पायी सड़क
निगम की नाक के नीचे कई मुहल्ले ऐसे हैं जहां लोगों को सड़क तक नसीब नहीं है. बारिश के दिनों में कीचड़मय हो जाता है. लोगों की जीवन नारकीय हो जाता है. अधिकांश इलाकों में ड्रेनेज व सिवरेज सिस्टम डेवलप नहीं है. वर्षों पुरानी नालियां समाप्तप्राय हो गयी है.
उखड़ने लगा है इंटर लॉक पेभर
एक साल पहले ही शहर में इंटर लॉक पेभर लगा था. मंदिर जाने के मुख्य रास्ते इसी से बने थे. लेकिन एक साल भी नहीं हुआ है पेभर उखड़ने लगा है. सही गुणवत्ता तक को मेनटेन नहीं कर पा रहा है निगम.
बस पड़ाव नहीं बन पाया
बीते पांच सालों से देवघर में अंतरराज्जीय बस टर्मिनल के लिए फंड पड़ा है. कई बार जमीन चिन्हित किया गया. बाघमारा में तो जमीन फाइनल भी हुए तीन साल से उपर हो गये लेकिन अभी तक बस पड़ाव की नींव तक नहीं रखी गयी है. नतीजा है कि देवघर जैसे धार्मिक व पर्यटन स्थल में बेहतर बस पड़ाव तक नहीं है. निजी बस पड़ाव तो शहर में है लेकिन सुविधाविहिन है.

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