देवघर: देवघर सिविल सजर्न डॉ अशोक कुमार एवं चिकित्सक डॉ अजीत कुमार पर स्वास्थ्य विभाग की एक महिला कर्मी ने गंभीर आरोप लगाये हैं. महिला कर्मी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा था जिसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हरकत में आयी और राज्य मानवाधिकार आयोग रांची को मामले की छानबीन कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार के संयुक्त सचिव ने देवघर डीसी को पत्र लिख कर सभी बिंदुओं पर जांच करवा कर एक सप्ताह के अंदर जांच प्रतिवेदन पर अपने मंतव्य के साथ रिपोर्ट देने के लिए कहा है.
क्या है मामला : स्वास्थ्य विभाग की एक महिला कर्मी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र के माध्यम से कहा कि कार्यालय के दैनिक कार्य समाप्त होने के बाद सिविल सजर्न डॉ अशोक कुमार व चिकित्सक डॉ अजीत कुमार अकारण कार्य का बहाना बना कर अपने कार्यालय कक्ष में बुलाते हैं और यौन प्रकृति का अवांक्षनीय मौखिक आचरण करते हैं. इस आचरण के कारण काफी मानसिक तनाव में हूं.
वहीं महामहिम राष्ट्रपति के देवघर आगमन कार्यक्रम के बहाने सिविल सजर्न ने अपने कक्ष में बुला कर कहा था कि महामहिम के कार्यक्रम के सिलसिले में कुछ दिशा-निर्देश देना है. इसलिए रात्रि को स्थानीय होटल स्थित आवासीय कमरे में बुलाया. इनकार किये जाने पर सीएस ने धमकी देते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग के एक आलाधिकारी मेरे स्वजाति व रिश्तेदार हैं, कोई मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकता है. झूठा गवाह तैयार कर नौकरी से निकलवा दूंगा. महिला कर्मी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से प्रार्थना की है कि मेरे व मेरे तीन वर्ष के अबोध बच्चे की सुरक्षा प्रदान करते हुए चिकित्सा पदाधिकारी पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाय.
नहीं तो बाध्य होकर अपने बच्चे के साथ आत्महत्या कर लूंगी. इस संबंध में चिकित्सक डॉ अजीत कुमार के मोबाइल नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.