22.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बेटी ने निभायी बेटे की भूमिका, मां को दी मुखाग्नि

जसीडीह : कभी-कभी परिस्थिति का पहाड़ इंसान पर इस तरह टूटता है कि बड़ी-बड़ी परंपराएं एक झटके में भरभराकर टूट जाती हैं. शनिवार को जसीडीह के हटिया मुहल्ले में भी ऐसा ही कुछ हुआ. एक छोटे-से घर में गुमनामी की जिंदगी जी रही सती जोशी की चर्चा शनिवार दिन भर आसपास के इलाके में होती […]

जसीडीह : कभी-कभी परिस्थिति का पहाड़ इंसान पर इस तरह टूटता है कि बड़ी-बड़ी परंपराएं एक झटके में भरभराकर टूट जाती हैं. शनिवार को जसीडीह के हटिया मुहल्ले में भी ऐसा ही कुछ हुआ.
एक छोटे-से घर में गुमनामी की जिंदगी जी रही सती जोशी की चर्चा शनिवार दिन भर आसपास के इलाके में होती रही, क्योंकि सती जोशी ने महिला होकर भी मां को मुखाग्नि दी.
मजबूरी में ही सही लेकिन सती जोशी ने डड़वा नदी के श्मशान घाट पर वह काम कर दिखाया जो बड़े-बड़े विद्रोही और समाज सुधारक भी आसानी से नहीं कर पाते. जब घाट पर दाह संस्कार चल रहा था, पृष्ठिभूमि में सती जोशी की दुख भरी दास्तान मृत्यु-मंत्र की तरह गूंज रही थी. दरअसल, सती के पिता पंद्रह साल पहले ही चल बसे. लोगों ने कहा- चलो दो भाई तो है न ! बहन और मां झरना देवी की देखभाल करने के लिए.
लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था. कुछ समय पहले बड़े भाई सुधीर भट्टाचार्य भी दुनिया छोड़ गये. उन्हें अकाल मौत ने ग्रस लिया. अब बहन और मां को सहारा देने के लिए घर में एक ही पुरुष सदस्य था. छोटा भाई लखन भट्टाचार्य. लेकिन विडंबना देखिये- कुछ समय पहले लखन भी लापता हो गया.
वह अब तक गुमशुदा है. और अब मां झरना देवी भी चल बसी, तो पूरे हटिया मुहल्ले के लोगों के सामने यक्ष सवाल खड़ा हो गया कि मृतक का अंतिम संस्कार कैसे हो ? पति और पुत्रविहीन महिला को मुखाग्नि कौन दे ? सती जोशी आगे आयी तो लोग चाहकर भी कुछ न बोल सके. सबों ने कहा- ईश्वर को शायद यही मंजूर था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें