ग्रेन गोला व पैक्स से बीज का नमूना बदल दिया गया है. चूंकि दो जुलाई को दोपहर 12 बजे जिला कृषि पदाधिकारी को बीज संबंधित सूचना दी थी. नियमानुसार शिकायतकर्ता के समक्ष ही किसी मजिस्ट्रेट के सामने गोदाम को सील कर देना चाहिए, साथ ही सील पेपर पर शिकायकर्ता का हस्ताक्षर भी लेना चाहिए था जो नहीं लिया गया. श्री आजाद के अनुसार शिकायत के वक्त भी उन्होंने बीज बदलने की आशंका जतायी तो उक्त समय उन्हें धमकी दी गयी.
कहा : जांच कमेटी निष्पक्ष नहीं है. इस कमेटी में नाबार्ड के डीडीएम को भी शामिल किया गया है, जो अनुचित है. चूंकि बीज की आपूर्ति नाबार्ड के उक्त पदाधिकारी के माध्यम से ही की गयी. श्री आजाद ने कहा कि नमूना जब्ती के दौरान उन्हें ग्रेन गोला में उपस्थित रहने की कोई सूचना विभाग की ओर से नहीं दी गयी. उन्होंने कहा कि यह घोटाला राज्य स्तर का है, इसकी जांच जिलास्तर पर कराने के बजाये राज्यस्तर की कमेटी से करायी जाये. इसमें शामिल संस्था को काजू घोटाले में भी दोषी पाया गया है. उन्हें संस्था के लोगों द्वारा धमकियां मिल रही है. बावजूद किसानों के पक्ष में आवाज उठाता रहूंगा.