चीनी ग्रंथ के अनुसार आंतरिक प्रकाश को शरीर में घुमाने की श्रेष्ठ तकनीक उसे प्रवाह की विपरीत दिशा में घुमाना है. इससे चेतना के एक ऐसे अतीन्द्रिय मार्ग का निर्माण होता है जो शारीरिक कार्यकलापों को सशक्त तथा सक्षम बनाता है तथा उनके क्षय एवं बिखराव को रोकता है. इन ताओ क्रियाओं द्वारा विचार स्वर्गीय चेतना के स्थान- स्वर्गीय हृदय (सहस्त्रार चक्र) में एकत्रित हो जाते हैं. जब चेतना का आंतरिक प्रकाश काफी समय तक वर्तुलाकार अतीन्द्रिय मार्ग से घूमता है तो वह आत्मिक शरीर को जन्म देता है. वह शरीर में वास्तविक बीज का निर्माण करता है जो भ्रूण में बदल जाता है. जब एक वर्ष तक वह इस कीमियागिरी ध्यान द्वारा गर्भ-संचित तथा पोषित होता है, तब उसके परिपक्व होने पर नवचेतना रूपी शिशु का जन्म होता है.
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प्रवचन___::::: चेतना का आंतरिक प्रकाश शरीर में बीज का निर्माण करता है
चीनी ग्रंथ के अनुसार आंतरिक प्रकाश को शरीर में घुमाने की श्रेष्ठ तकनीक उसे प्रवाह की विपरीत दिशा में घुमाना है. इससे चेतना के एक ऐसे अतीन्द्रिय मार्ग का निर्माण होता है जो शारीरिक कार्यकलापों को सशक्त तथा सक्षम बनाता है तथा उनके क्षय एवं बिखराव को रोकता है. इन ताओ क्रियाओं द्वारा विचार स्वर्गीय […]
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