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प्रवचन::::: नीला रंग सत्य व सामंजस्य का प्रतीक

दूसरे स्तर की दीक्षा प्राप्त साधक ‘वार्ड’ कहलाते थे. इनकी पोशाक आसमानी रंग की होती थी. नीला रंग सत्य तथा सामंजस्य का प्रतीक था. उन्हें बीर हजार पद्यों वाले पवित्र काव्य को पूरा अथवा अंशत: कंठस्थ करना होता था. इन कविताओं में प्रतीकों के रूप में समस्त ड्रू इड ज्ञान का भंडार संकलित था. इस […]

दूसरे स्तर की दीक्षा प्राप्त साधक ‘वार्ड’ कहलाते थे. इनकी पोशाक आसमानी रंग की होती थी. नीला रंग सत्य तथा सामंजस्य का प्रतीक था. उन्हें बीर हजार पद्यों वाले पवित्र काव्य को पूरा अथवा अंशत: कंठस्थ करना होता था. इन कविताओं में प्रतीकों के रूप में समस्त ड्रू इड ज्ञान का भंडार संकलित था. इस जैसी साधना को तंत्र में मंत्र सिद्धि कहा गया है, जिसमें मंत्र की ध्वनि तथा उसके कंपनों पर साधक का नियंत्रण स्थापित होता है. ड्रू इड साधकों में भी काव्य कंठस्थ करने के साथ ही आंतरिक शक्तियों का जागरण होता था तथा इन पद्यों में छिपे ज्ञान की सही जानकारी होती थी. तीसरे स्तर की दीक्षा प्राप्त साधक ‘ड्रू इड’ कहलाते थे. इनका कार्य लोगों की आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करना तथा समस्याओं को सुलझाना था. ये बड़े शक्तिशाली होते थे तथा इनकी जिम्मेदारियां भी व्यापक थीं. ये उच्च सिद्धियों तथा ज्ञान के धनी होते थे. ये सत्ता का भी उपयोग करते थे. इनके वस्त्र सफेद रंग के होते थे. सफेद रंग सूर्य तथा पवित्रता का प्रतीक था.

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