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प्रवचन:::मानव संघर्ष का प्रतीक है जीवन वृक्ष

यह क्रॉस भगवत गीता तथा बाइबिल में वर्णित जीवन वृक्ष की याद दिलाता है जो चेतना की उच्च अवस्था की उपलब्धि के लिए मानव के संघर्ष का प्रतीक है. ईसाइयों में क्रॉस का तथा तांत्रिक योगियों में सुषुम्ना के रास्ते कुंडलिनी के आरोहण का भी यही निहितार्थ है. ड्रू इड अपनी आध्यात्मिक साधनाओं को गुप्त […]

यह क्रॉस भगवत गीता तथा बाइबिल में वर्णित जीवन वृक्ष की याद दिलाता है जो चेतना की उच्च अवस्था की उपलब्धि के लिए मानव के संघर्ष का प्रतीक है. ईसाइयों में क्रॉस का तथा तांत्रिक योगियों में सुषुम्ना के रास्ते कुंडलिनी के आरोहण का भी यही निहितार्थ है. ड्रू इड अपनी आध्यात्मिक साधनाओं को गुप्त रखते थे. यह यूनान के बैकिक तथा एलुसिनियनों के तथा मिस्त्र के आयसिस तथा आसिरिस के कर्मकांडों से मिलता-जुलता है. अन्य संस्कृतियों की तरह इनकी आध्यात्मिक साधनाएं भी अलिखित थीं, परंतु योग्य साधकों को मौखिक रूप से व्यक्तिगत स्तर पर प्रदान की जाती थीं. ड्रू इडों के प्रमुख देवी-देवता यूनान, रोम तथा मिस्त्र के देवी-देवताओं जैसे थे. ऐसा माना जाता है कि वे देवी-देवता अन्य अति प्राचीन सभ्यताओं में से आये थे. परंतु ये शिव तथा शक्ति के सर्वप्रचलित सिद्धांतों से मेल खाते हैं. अनेक ड्रूइड देवता, स्त्री तथा पुरुष वर्ग में विभक्त थे, जो शिव तथा शक्ति, महान माता तथा पिता के रूप में ‘हू’ तथा ‘सेक्रिड्वेन’ नामों से विख्यात थे.

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