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बंदी तैयार करते हैं श्रृंगार मुकुट

देवघर: मंडल कारा के बंदी सालोभर रोजाना बाबा बैद्यनाथ का श्रृंगार मुकुट तैयार करते हैं. पहले तो श्रृंगार मुकुट के लिए कारा में ही फूल मिल जाता था. किंतु इन दिनों कारा में फूल की कमी हो गयी है. बजाप्ते इसकी सूचना कारा प्रशासन ने मुख्य सड़क पर कारा की दीवार में अंकित कराया है. […]

देवघर: मंडल कारा के बंदी सालोभर रोजाना बाबा बैद्यनाथ का श्रृंगार मुकुट तैयार करते हैं. पहले तो श्रृंगार मुकुट के लिए कारा में ही फूल मिल जाता था. किंतु इन दिनों कारा में फूल की कमी हो गयी है. बजाप्ते इसकी सूचना कारा प्रशासन ने मुख्य सड़क पर कारा की दीवार में अंकित कराया है. बाबा बैद्यनाथ के श्रृंगार मुकुट के लिए कोई न कोई भक्त कारा प्रशासन को सुबह नौ बजे तक फूल, बिल्वपत्र पहुंचा जाता है. वहीं कारा कर्मी भी बाहर से बाबा के पुष्प मुकुट के लिए फूल, बिल्वपत्र रोजाना खोज कर लाते हैं. बाबा बैद्यनाथ के श्रृंगार पूजा के लिए मंडल कारा से पुष्प मुकुट भेजे जाने की परंपरा ब्रिटिशकाल से ही चली आ रही है.

बाबा कक्ष में तैयार होता है श्रृंगार मुकुट
जेलर अश्विनी कुमार तिवारी के अनुसार मंडल कारा के अंदर एक बाबा कक्ष है. उसमें कोई बंदी नहीं रहते. रोजाना बाबा कक्ष से कारा के बाहर परिसर में बने बजरंगबली मंदिर तक पुष्प मुकुट बनानेवाले बंदी पानी से साफ-सफाई कर शुद्ध करते हैं. स्नान कर शुद्धता के साथ सुबह दस बजे बाबा कक्ष में प्रवेश करते हैं. दोपहर तक बाबा का पुष्प मुकुट तैयार कर साढ़े तीन बजे जेल कर्मियों की मदद से बम भोले व जय शिव का जयकारा लगाते हुए उसे निकाल कर मंदिर में रखते हैं.

सोमवारी को फलाहार में रहते हैं बंदी
पुष्प मुकुट तैयार करनेवाले दस बंदी सोमवार को फलाहार पर रहते हैं. पांच बंदी एक्सपर्ट हैं, जबकि पांच बंदी हेल्फर के तौर पर काम करते हैं. बांस छील कर बंदी दीपन महतो, बलराम सिंह साथी बंदियों की मदद से फूल माला आदि बनाते हैं. फिर बाबा के सिर का नाग मुकुट पुष्प से सजा कर तैयार करते हैं. ये बंदी गण मांस, मछली भी नहीं खाते हैं. अन्य दिनों में करीब साढ़े पांच बजे कार्तिक पंडा व एक जेल कर्मी जय शिव, बम भोले का जयकारा के साथ बाबा मंदिर तक ले जाते हैं. श्रावणी मेला में बाबा का पुष्प मुकुट देर से जाता है.

पूर्णिमा को बनता है दो पुष्प मुकुट
वैसे सालभर कारा में बाबा भोलेनाथ का एक मुकुट बनता है, किंतु श्रावणी पूर्णिमा के दिन एक साथ दो पुष्प मुकुट बंदी तैयार करते हैं. एक पुष्प मुकुट बाबा के फौजदारी दरबार बासुकीनाथ भेजा जाता है. वहीं दूसरा पुष्प मुकुट भोलेनाथ के दीवानी दरबार बाबा बैद्यनाथ पर अर्पित होता है.

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