हाड़ कंपावेवाला जाड़म, चूवाय रहल हों घामदेवघर :संध्या के करीब छह बजता होगा. छुटभैया नेताओं की मानो चौक पर चौपाल जम गयी हो. वैसे तो लोग ठेठ लहजे में चौक को कहते हैं-टबरवा. वोट पक्का करने की ठेकेदारी करने वाले दुकानदार कम नेता बेसी का डींग पैंतरा जारी है. जमघट में गांव गिराम के कई माौसमी नेता हैं. एक छुटभैया नेता जिसे लोग बकवासानंद कह कर संबोधित कर रहे थे. चौपाल में कहे जा रहे थे..जाड़म भोट होवे वाला छो, पछिया हवा सें करेज कांपे छो आरो भोट लड़ेवाला आपनो मुठीया सकत करल हो. हमनी हाड़ कंपावेवाला जाड़म खटे हों, घाम चुआवे हों आरो मजोरिया देवेम कंजूसी. तोरानी हमर कहला पर सगरो दौड़ी रहल हीं और मजोरी नाय दियावेल पारलियो तो हमर बदनामीयेन होतो. कोनचीज अटर पटर बके हीं हो बड़का दा. केतना हमनी दौड़ी रहल हों टोला मोहल्लाम. एकोकटी दरद नाहीं तोर दिलम. बुतरू बतरा घरें अगोरी बैठल होते कि पापाजी आते मिठाय लानते. कनीयायें आस लगाल होते की चपोतल टाका आनते. आरो तोरनी धुरखेल जेइसन बात करे हीं. देखें भयव आवेल देहीं…उमीदवराक. इसी बीच एक चॉकलेटी रंग की चारचकवा गाड़ी रूकती है. अरे चलें आब सब दुख बिसरी जो अट -पट नाय बकें. छुटभैया नेता घेर लेते हैं. हे हो फलनवां बाबू …हमनी की पेटभतें दोड़ाबीं. देखिए हम आपको रोज दौड़ने वालों का मजोरी दे रहे हैं, तो क्यों यह सुनने को मिल रहा है. एक युवक देखलीं… खुली गेलोन, ओकर पोला..कमावे के आरो बनावे के.
चुनावी गपशप- कानाफूसी (कॉलम )
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