देवघर: राज्य में 32 वर्ष बाद पंचायत चुनाव हुआ, लेकिन पंचायतीराज का उद्देश्य पूरी तरह धरातल पर नहीं उतरा. पंचायत चुनाव हुए तीन वर्ष से अधिक बीत गये. इन तीन वर्षो में देवघर जिला परिषद तीन कदम भी नहीं चल पायी है.
केंद्र सरकार से 13वां वित्त आयोग की राशि समय पर प्राप्त होने के बावजदू जिला परिषद अपना आधारभूत संरचना विकसित करने में पीछे है. योजना के अनुसार आधारभूत संरचना विकसित करने के बाद जिला परिषद को इससे अपने आय में वृद्धि करना उद्देश्य है. इसके एवज में इन तीन वर्षो में जिला परिषद ने आधारभूत संरचना में लगभग सवा दो करोड़ रुपया खर्च किया है. इसमें मार्केट कॉम्प्लेक्स, दुकान, विवाह भवन व डाक बंगला बनवाया गया. इन भवनों को किराये में लगाकर आय वृद्धि करना है, लेकिन राजनीति व गुटबाजी की भेंट चढ़ी इन भवनों से जिला परिषद को तीन वर्षो के दौरान महज 10 फीसदी ही आय प्राप्त हुई है.
सारठ मार्केट कॉम्प्लेक्स एक वर्ष से बंद
सारठ में जिला परिषद की जमीन पर मार्केट कॉम्प्लेक्स में 48 दुकानें वित्तीय वर्ष 2012-13 में निर्मित हुआ है. इसमें 67 लाख रुपये खर्च हुआ है. इसमें नीचले तले की दुकानों की बंदोबस्ती हो गयी है. इसमें करीब 19 लाख रुपये जिला परिषद को बंदोबस्ती में सिक्यूरिटी मनी के रुप में प्राप्त हुआ है. लेकिन ऊपरी तले के दुकानों की बंदोबस्ती पिछले छह माह से लटका हुआ है. जिला परिषद उचित किराया निर्धारित करने में असफल रही है. अगर इन दुकानों को समय पर किराया लगता तो इससे बेरोजगारों को रोजगार के साथ-साथ जिला परिषद के आय में वृद्धि हो सकती थी.
जसीडीह बाजार में नयी दुकान किराये पर नहीं लगी
जसीडीह बाजार में जिला परिषद की जमीन पर वित्तीय वर्ष 2012-13 में नौ दुकानें निर्मित हुई. इसमें 19.72 लाख रुपये खर्च हुए. इसमें भी केवल नीचले तले की तीन दुकानों पुराने दुकानदार को किराये पर तो दिया गया व एक दुकान एक वर्ष से बंद पड़ा है. जबकि ऊपरी तले का हॉल भी किराया पर नहीं लग पाया. पिछले दिनों जिला परिषद में शेष दुकानों की बंदोबस्ती की बोली लगायी गयी थी. कमेटी की अक्षमता के कारण बंदोबस्ती का निष्पादन नहीं हुआ व एक दुकान की बोली 18 लाख रुपये तक लगा दी गयी. अंत में यह बंदोबस्ती बेनतीजा साबित हुई.
सुविधाओं से लैस कार्यालय पड़ा सुनसान
जिला परिषद कार्यालय में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, डीडीसी व सम्मेलन कक्ष में 45 लाख रुपये खर्च हुआ है. इसमें पांव रखने के लिए लाखों रुपये के कालीन व बैठने के लिए सुविधायुक्त सोफा लगाया गया है. लेकिन अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चेंबर उदघाटन के बाद से ही सुना पड़ा है. चूंकि अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का एक अन्य कार्यालय पहले से ही विकास भवन में मौजूद है. जिला परिषद की बैठक भी विकास भवन के सम्मेलन कक्ष में होती है. यहां नये भवन व कालीन में बेवजह पानी के तरह पैसा बहाया गया.