धर्मेंद्र कुमार/रवि कुमार
चतरा : सिमरिया प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय 25 वर्षो से बंद है. महाविद्यालय बंद होने से शिक्षित बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण के लिए बाहर जाना पड़ता है. जब इस महाविद्यालय में प्रशिक्षण चलता था, तो विद्यालय परिसर ही नहीं, बल्कि सिमरिया चौक पर चहल-पहल रहती थी. सिमरिया के विकास में महाविद्यालय की अहम भूमिका है.
40 वर्षो तक इस महाविद्यालय में एकीकृत बिहार के कई जिले के युवक प्रशिक्षण प्राप्त कर शिक्षक बन कर घर-घर शिक्षा का दीप जलाया. शिक्षक बन कर बेरोजगारी दूर की. लेकिन 1993 से इस महाविद्यालय में प्रशिक्षण कार्य बंद है. महाविद्यालय का भवन बेकार पड़ा हैं. इसे चालू कराने का प्रयास नहीं किया गया. चतरा को रेलवे लाईन से जोडने की मांग 30 वर्षो से की जा रही हैं. हर बार के चुनाव में रेल चुनावी मुद्दा बनता है.
लेकिन आज तक यहां के लोगो के रेल का सपना पूरा नहीं हो सका हैं. चतरा-गया, चतरा-टोरी रेलवे लाइन को लेकर कई बार सर्वे कार्य किया गया. लेकिन किसी भी रेल बजट में चतरा रेलवे लाइन को जगह नहीं मिली. यहां के लोगों को रेल के लिए 90 किमी दूर गया, 120 किमी कोडरमा, 70 किमी टोरी व अब 70 किमी हजारीबाग जाना पड़ता है. दूसरे राज्य में जानेवाले छात्रों व मरीजों को दिल्ली रेल के लिए एक दिन पूर्व घर से निकलना पड़ता हैं. शाम ढलते ही चतरा से बस सेवा ठप हो जाती है. यात्री जहां के तहां रूक जाते हैं.
20 साल से लटकी है बाइपास रोड की योजना
बाइपास रोड नहीं बनने से आये दिन लोग सड़क जाम से परेशान रहते हैं. छोटी-बड़ी सभी तरह की गाड़ियां शहर से होकर गुजरती हैं. जिसके कारण हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती हैं. स्कूली बच्चे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं. छोटे बच्चे कई बार दुर्घटना के शिकार भी हुए हैं.
जिला योजना समिति की बैठक में कई बार बाइपास सड़क के निर्माण को लेकर चर्चा होती रही, लेकिन आज तक सड़क नहीं बनी. सरकार ने बाइपास के लिए सर्वे भी करायी. लेकिन अधिग्रहित जमीन के लिए मुआवजा की राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी. इस तरह बाइपास रोड की योजना 20 वर्ष से लंबित है.