17 जुलाई 2015 को जिले की प्रभारी मंत्री लुइस मरांडी ने जिला योजना समिति की बैठक में निगरानी जांच कराने का आदेश दिया था. फिर भी मामला लटका रहा. दिसंबर माह के अंत में निगरानी को अनुशंसा पत्र भेजा गया.
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छात्रवृत्ति घोटाला: चास प्रखंड में हुई थी लाखों की गड़बड़ी, 15 माह बाद भी नहीं हुई निगरानी जांच
बोकारो : बोकारो उपायुक्त ने दिसंबर 2015 में जांच की अनुशंसा निगरानी को भेजी थी. अगर निगरानी जांच होती तो कई अधिकारी से लेकर घोटाले के मास्टरमाइंड रहे कर्मचारी जेल की हवा खा रहे होते. वर्ष 2013 में हुए इस घोटाले की निगरानी जांच की मांग दो वर्ष तक जिले की अनुश्रवण, जिला योजना एवं […]
बोकारो : बोकारो उपायुक्त ने दिसंबर 2015 में जांच की अनुशंसा निगरानी को भेजी थी. अगर निगरानी जांच होती तो कई अधिकारी से लेकर घोटाले के मास्टरमाइंड रहे कर्मचारी जेल की हवा खा रहे होते. वर्ष 2013 में हुए इस घोटाले की निगरानी जांच की मांग दो वर्ष तक जिले की अनुश्रवण, जिला योजना एवं जिला परिषद की बैठकों में की जाती रही.
लेखापाल गया था जेल : इस मामले में चास प्रखंड के लेखापाल महेंद्र प्रसाद को सिर्फ आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया, लेकिन अन्य दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे कई तथ्य सामने आये, जिनकी जांच ही नहीं होने दी गयी. अगर जांच हुई तो कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. इस मामले में चास के पूर्व एसडीपीओ बी कुल्लू की पर्यवेक्षण टिप्पणी के बाद जो आरोप पत्र दायर हुआ उसमें केवल महेंद्र प्रसाद को ही अभियुक्त बनाया गया. कुछ अभियुक्तों को सरकारी गवाह बनाकर बचा लिया गया.
जांच हुई तो कई अधिकािरयों पर गिरेगी गाज
चास प्रखंड कार्यालय से विभिन्न स्कूलों में छात्रवृत्ति राशि भेजने के लिए आइडीबीआइ बैंक में एडवाइस व चेक भेजा गया था. बिजुलिया हाइ स्कूल के लेखापाल महेंद्र दास ने जिला शिक्षा अधीक्षक का फर्जी पत्र बनाकर आंध्रा बैंक में निजी खाता खुलवा लिया था. प्रखंड कार्यालय से आइडीबीआइ बैंक को भेजे गये एडवाइस में छेड़छाड़ कर प्रखंड के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों ने आंध्रा बैंक के उस खाता में आठ लाख रुपया जमा करवा दिया और बाद में उसकी निकासी कर ली.
अन्य प्रखंडों में हो सकता है ऐसा घोटाला
चास के अलावा चंदनकियारी सहित अन्य प्रखंडों में भी छात्रवृत्ति घोटाला हुआ. लेकिन अभी तक सिर्फ चास प्रखंड का ही मामला सामने आया. अगर निगरानी जांच होती तो अन्य प्रखंडों में भी इस तरह का घोटाला उजागर हो जाता.
मेरी पदस्थापना के पूर्व का मामला है. जिला प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व अनुशंसा कर दी थी. अगली कार्रवाई निगरानी से होनी है.
राम लखन प्रसाद गुप्ता, डीडीसी, बोकारो
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