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भोलूर बांध की जमीन पर भू माफियाओं की नजर
चास : भोलूर बांध चास के ऊपर भू माफियाओं की नजर है. भोलूर बांध की जमीन के अतिक्रमण के लिए भू माफिया कई तरह का हथकंडा अपनाया जा रहा है. फिलहाल वर्षो पूर्व मत्स्य विभाग द्वारा निर्मित नर्सरी मिट्टी से भरी जा रही है. फिलहाल चार में से दो नर्सरी को भर दिया गया है. […]
चास : भोलूर बांध चास के ऊपर भू माफियाओं की नजर है. भोलूर बांध की जमीन के अतिक्रमण के लिए भू माफिया कई तरह का हथकंडा अपनाया जा रहा है. फिलहाल वर्षो पूर्व मत्स्य विभाग द्वारा निर्मित नर्सरी मिट्टी से भरी जा रही है.
फिलहाल चार में से दो नर्सरी को भर दिया गया है. बताते चलें कि चास का भोलूर बांध सबसे पुराने तालाबों में एक है. सरकारी कागज में भोलूर बांध छह एकड़ 73 डिसमिल जमीन में फैला है. फिलहाल यह तालाब मत्स्य विभाग के अधीन है.
जमीन हड़पने को सांठ-गांठ : एक दशक पूर्व मत्स्य विभाग चार नर्सरी बना कर मछली बीज का पालन करता था. लेकिन इधर कुछ वर्षो से विभाग ने मछली बीज का पालन बंद कर दिया है. कुछ स्थानीय लोग ही भू माफियाओं से सांठ-गांठ कर भोलूर बांध की जमीन को हड़पने का प्रयास कर रहे हैं.
भोलूर बांध में गंदगी का अंबार : चास बाजार सहित आसपास के करीब 25 हजार लोग भोलूर बांध पर निर्भर हैं. इस क्षेत्र के आधे-दर्जन कॉलोनी के लिए भोलूर बांध में ही धार्मिक कार्य व अन्य अनुष्ठान कार्य करते हैं. इस बांध की सफाई का जिम्मा न तो मत्स्य विभाग और न ही नगर निगम निभा रहा है. फलत: बांध में गंदगी का अंबार लगा है. इसके कारण बांध के पानी से बदबूदार गंद निकलता है.
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