इसके बाद सभी कर्मी तीन जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे. कहा : मांगों पर निर्णय लेने के साथ ही हमारी हड़ताल खत्म होगी. गौरतलब है कि जिले में अनुबंधित एनआरएचएम कर्मियों की संख्या 350 है. आंगनबाड़ी सेविकाओं को शामिल करने पर यह संख्या लगभग 1800 हो जाती है. मौके पर संयोजक रवि शंकर, जिलाध्यक्ष जय प्रकाश नायक, जिला सचिव मनीष कुमार, कोषाध्यक्ष अमित कुमार, उर्मिला कुमारी, आरती मिश्र आदि मौजूद थे.
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अनुबंधित एनआरएचएम कर्मी तीन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
बोकारो: स्थायीकरण के सवाल पर झारखंड अनुबंधित एनआरएचएम कर्मी महासंघ बोकारो की बैठक कैंप दो में गुरुवार को हुई. अध्यक्षता प्रमंडलीय सचिव पवन श्रीवास्तव व संचालन महामंत्री अभय कुमार बंटी व कुमारी कंचन ने संयुक्त रूप से किया. कहा : हमें बार-बार अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की जरूरत पड़ रही है. सरकार बदलती […]
बोकारो: स्थायीकरण के सवाल पर झारखंड अनुबंधित एनआरएचएम कर्मी महासंघ बोकारो की बैठक कैंप दो में गुरुवार को हुई. अध्यक्षता प्रमंडलीय सचिव पवन श्रीवास्तव व संचालन महामंत्री अभय कुमार बंटी व कुमारी कंचन ने संयुक्त रूप से किया. कहा : हमें बार-बार अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की जरूरत पड़ रही है. सरकार बदलती है, लेकिन हमारी स्थिति आज भी ज्यों की त्यों है. पर इस बार महासंघ ने कड़ा निर्णय लिया है.
निर्णय के बाद ही हड़ताल खत्म करेंगे : बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध पर कार्यरत (एनआरएचएम) एएनएम, स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट, लैब तकनीशियन, रेडियोग्राफर, पुरुष स्वास्थ्य कर्मी, एमपीडब्ल्यू, डीपीएम, डीडीएम, डीएएम, बीपीएम, बीडीएम, बीएएम सहित अन्य कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे. शुरुआत 28-29 मई को काला बिल्ला लगा कर काम करने से होगी. एक जून को सिविल सजर्न कार्यालय कैंप दो के समक्ष प्रदर्शन किया जायेगा.
एनआरएचएम कर्मियों ने कहा
सरकार ने लगातार हमें उलझा कर रखा है. हमारी समस्याओं को समझने का कभी प्रयास नहीं किया गया. हम दोराहे पर खड़े हैं. हमने अपने जीवन का बहुमूल्य समय विभाग को दे दिया.
मुकेश कुमार
सरकार ने हमारी परेशानियों को समझ कर भी उसका समाधान करने की कोशिश नहीं की. हर बार विश्वास में लेकर हड़ताल तुड़वाया, लेकिन आज भी हमारी स्थिति ज्यों की त्यों है.
मनोरंजन कुमार
इस बार हमारी लड़ाई आर-पार की लड़ाई होगी. हर बार की तरह हम केवल आश्वासन पर नहीं मान सकते हैं. समय बदल गया है. सरकार को अब गंभीरता से सोचने की जरूरत है.
विश्वनाथ गुप्ता
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