चास : बोकारो जिले में उपलब्ध पानी में आयरन, फ्लोराइड सहित अन्य तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं. इसके मद्देनजर सरकार ने दो साल पहले सरकारी विद्यालयों समेत निजी विद्यालयों को अपने यहां उपलब्ध पानी की जांच कराने का निर्देश दिया था. जिले में अभी तक सिर्फ 392 स्कूलों ने ही पानी की जांच करायी है, वह भी सिर्फ एक बार. जबकि जिले में 1726 प्राथमिक व मध्य विद्यालय हैं. इसमें 1700 विद्यालयों में शिक्षा विभाग की ओर से पेयजल की व्यवस्था कर दी गयी है.
जानकारी के अनुसार सरकारी आदेशानुसार सभी विद्यालयों को एक वर्ष में दो बार जल जांच करानी है. अभी तक चास, कसमार, चंदनकियारी, चंद्रपुरा व बेरमो प्रखंड क्षेत्र के कुछ विद्यालयों का ही जल जांच हो पायी है. जबकि पेटरवार, गोमिया, नावाडीह प्रखंड क्षेत्र के जांच नहीं करायी गयी है. इस दिशा में चंदनकियारी व कसमार प्रखंड क्षेत्र के शिक्षक सबसे अधिक सक्रिय हैं. वहीं निजी स्कूलों के लगभग सभी बड़े स्कूलों ने जाचं करा ली है.
बच्चों में कई बीमारियां होने की संभावना : जल क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में आयरन व फ्लोराइड पाया जाती है. पानी में आयरन की मात्रा अधिक होने से विद्यार्थियों को पेट सहित अन्य बीमारी होती है. पानी में फ्लोराइड की मात्रा मिलने से शरीर की हड्डी कमजोर होती है. इसके अलावा पानी में कैल्शियम की मात्रा घट जाती है.
प्रयोगशाला में सामान का अभाव : जिला जल जांच प्रयोगशाला के केमिस्ट मुकुल रवानी ने बताया कि प्रयोगशाला में सामान के अभाव है. इस कारण जांच नहीं हो पा रही है. फिलहाल जिले के 392 स्कूलों की जल जांच की गयी है. इसमें आयरन व फ्लोराइड की मात्रा पायी गयी है. उन्होंने बताया कि 0.1 से 1.0 तक पानी में आयरन होने से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है. जबकि अधिकांश नमूनों की जांच करने में 1.5 से 2.0 तक आयरन पायी गयी. दो माह से आइन मीटर खराब है, इस कारण प्रयोगशाला में फ्लोराइड की जांच नहीं हो रही है.
दो साल पहले सरकार ने दिये थे जल की जांच कराने का निर्देश
सभी विद्यालयों को जल जांच कराने का निर्देश जिला कार्यालय की ओर से दी गयी है. अगर इसके बाद भी कोई जल जांच नहीं कराते हैं तो कार्रवाई के लिये जिला प्रशासन को सूचित किया जायेगा. विद्यालयों को साल में दो बार अनिवार्य रूप से जल जांच करानी है
कुमार विमल सिंह, सहायक अभियंता, शिक्षा परियोजना बोकारो