बोकारो: मेरी शादी को महीना हुआ था. पति प्रदीप कुमार रे के साथ शॉपिंग करने सिटी सेंटर गयी थी. शॉपिंग के बाद घर आने के लिए अपनी बुलेट के पास पहुंचे. पति बुलेट स्टार्ट कर चुके थे. तभी मुङो अचानक से याद आया कि दुकान पर कुछ छूट गया है. मैंने पति को कहा : जरा ठहरो, मैं आती हूं. पति दोस्त से बात करने में मशगूल थे. उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी. उन्हें लगा कि मैं बुलेट पर बैठी हुई हूं.
वह घर तक मेरे बगैर ही चले गये. मैं जब दुकान से लौटी तो देखा पति नहीं थे. मैं लगभग मार्केट में आधे घंटे तक खड़ी थी. तभी मेर कुछ दोस्तों की नजर मुझ पर पड़ी. दोस्तों ने मुङो पूछा क्या तुम अकेली हो? मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि, अरे क्या कहूं मेरे पति महाशय मुङो छोड़ कर घर चले गये हैं.
दोस्तों ने हंसते हुए कहा अरे तेरा पति भूलक्कड़ तो नहीं. मैंने उनका बचाव किया. सभी दोस्त पति की इस शरारत पर हंस रहे थे. उन्होंने मुङो घर तक ड्रॉप कर दिया. वहीं घर पहुंचने पर मुङो अपनी गाड़ी पर न पाकर पति भी डर गये. वह मुङो ढूंढने उसी रास्ते पर निकल पड़े. काफी देर के बाद लौटे, तो मैं उन्हें आवास पर खड़ी मिली. उनको देखकर मैंने गुस्से से उनकी तरफ देखा , मगर उनका चेहरा पसीना से लतपथ था. उनकी हालत देख मैं मुस्कुरा उठी.