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नक्सलियों पर लंबित मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं

रांची: झारखंड में सक्रिय नक्सलियों-उग्रवादियों के लिए वर्ष 2008 में सरेंडर पॉलिसी बनी थी. 18 फरवरी 2008 को संकल्प जारी होने के बाद पॉलिसी लागू किया गया. अब तक 150 नक्सलियों-उग्रवादियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर किया है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों-उग्रवादियों के खिलाफ दर्ज मामलों का क्या होगा, इसका उल्लेख पॉलिसी में है. जघन्य […]

रांची: झारखंड में सक्रिय नक्सलियों-उग्रवादियों के लिए वर्ष 2008 में सरेंडर पॉलिसी बनी थी. 18 फरवरी 2008 को संकल्प जारी होने के बाद पॉलिसी लागू किया गया. अब तक 150 नक्सलियों-उग्रवादियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर किया है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों-उग्रवादियों के खिलाफ दर्ज मामलों का क्या होगा, इसका उल्लेख पॉलिसी में है.

जघन्य मामलों को विधि सम्मत निष्पादित किया जायेगा और लंबित मुकदमों को निबटाने के लिए विशेष न्यायालय (फास्ट ट्रैक कोर्ट) गठित कराया जायेगा. लेकिन आज तक किसी भी नक्सली के खिलाफ लंबित मुकदमों को निपटाने के लिए एक भी फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन नहीं कराया गया.


सरकार और पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने कभी भी इस पर ध्यान नहीं दिया. इसके विपरीत वर्ष 2015 में पुलिस के सीनियर अफसरों ने जोनल कमांडर चश्मा विकास के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की पहल की. सरकार के निर्देश पर लातेहार पुलिस ने अदालत में अनुरोध पत्र दिया. जिसे अदालत में असंवैधानिक बताते हुए नामंजूर कर दिया. उल्लेखनीय है कि अब जिन 150 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर किया है, उनमें से किसी भी नक्सली के खिलाफ पुलिस ऐसा साक्ष्य नहीं जुटा पायी, जिससे अदालत में उसे सजा दिलायी जा सके.
न समीक्षा हुई न संशोधन
सरेंडर पॉलिसी में यह प्रावधान है कि राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष इस योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा और जरूरी संशोधन करेगी. पिछले नौ साल में सिर्फ एक बार वर्ष 2015 में समीक्षा की गयी. जिसमें नक्सलियों पर सिर्फ इनाम की राशि को बढ़ाने का फैसला लिया गया.
नहीं होती इनाम की समीक्षा
झारखंड सरकार ने जिन नक्सलियों के खिलाफ इनाम की घोषणा कर रखी है, उन नक्सलियों पर आगे भी इनाम घोषित रखने की जरूरत है या नहीं, इसकी कभी समीक्षा नहीं की गयी. यही कारण है कि पांच साल से संगठन से बाहर रह रहा नक्सली कुंदन पाहन भी 15 लाख का इनामी थी. उसका बड़ा भाई डिंबा पाहन जो पिछले तीन-चार साल से खेती कर रहा था, उस पर पांच लाख का इनाम था. श्याम पाहन पिछले दो-ढाई साल से हरियाणा में ईंट-भट्ठा का काम कर रहा था, उस पर पांच लाख का इनाम था.

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