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बीजीआर कैंप पर हमले में हो सकता है टीपीसी का हाथ!

रांची: चतरा के टंडवा के आम्रपाली परियोजना स्थित बीजीआर कंपनी के कैंप पर एक फरवरी की रात हुए हमले के बाद घटनास्थल से भाकपा माओवादी का परचा मिला है. परचा हाथ से लिखा हुआ है, लेकिन पुलिस को संदेह है कि घटना को दूसरे उग्रवादी संगठन ने अंजाम दिया है. शक टीपीसी के उग्रवादियों पर […]

रांची: चतरा के टंडवा के आम्रपाली परियोजना स्थित बीजीआर कंपनी के कैंप पर एक फरवरी की रात हुए हमले के बाद घटनास्थल से भाकपा माओवादी का परचा मिला है. परचा हाथ से लिखा हुआ है, लेकिन पुलिस को संदेह है कि घटना को दूसरे उग्रवादी संगठन ने अंजाम दिया है. शक टीपीसी के उग्रवादियों पर है. भाकपा माओवादी का हस्तलिखित परचा छोड़ दिया गया है, ताकि पुलिस की जांच को भटकाया जा सके. पुलिस को यह अहसास दिलाया जा सके कि टंडवा इलाके में अब भी माओवादी हैं और वह कभी भी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं. कुछ पुलिस अफसर हाल के दिनों में टीपीसी के खिलाफ हुई पुलिसिया कार्रवाई से भी जोड़ कर इस घटना को देख रहे हैं.

इस बारे में पूछे जाने पर पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आइजी अभियान आशीष बत्रा ने कहा कि पुलिस हर बिंदु पर जांच कर रही है. इस बात की जांच की जा रही है कि घटना को भाकपा माओवादी संगठन के लोगों ने अंजाम दिया है या टीपीसी या किसी दूसरे उग्रवादी संगठन ने. जांच के बाद ही स्पष्ट कहा जा सकता है. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि टंडवा में करीब छह-सात सालों से टीपीसी का वर्चस्व है. पुलिस ने भी कई बार यह दावा किया है कि टंडवा से माओवादियों का लगभग सफाया हो चुका है. ऐसी स्थिति में चार-पांच माओवादी टंडवा में आकर घटना को अंजाम देंगे, यह संदेह पैदा करता है. चतरा के एसपी अंजनी कुमार झा ने घटनास्थल पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि अभी यह देखा जाना बाकी है कि घटना को माओवादियों ने अंजाम दिया है या किसी दूसरे संगठन ने.

पुलिस कैंप से 100 मीटर की दूरी पर 15 मिनट तक जमे रहे उग्रवादी
बीजीआर कंपनी पर हमले की घटना से नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की चौकसी पर भी सवाल खड़ा हो गया है. बीजीआर कंपनी के कैंप से 100 मीटर की दूरी पर ही इंडिया रिजर्व बटालियन (आइआरबी) के जवानों का कैंप है. पास में ही स्टेट इंडस्ट्रियल सिक्यूरिटी फोर्स का भी कैंप है. इन सबके बावजूद हथियारबंद उग्रवादी करीब 15 मिनट तक घटनास्थल पर रुके. बीजीआर कंपनी के कर्मचारियों को कमरे से बाहर निकाल कर एक जगह खड़ा किया. विस्फोटक लगाये, फिर ब्लास्ट किया और आराम से निकल गये. ब्लास्ट के बाद उग्रवादियों ने भागने के दौरान आइआरबी के जवानों के साथ मुठभेड़ भी की. घटनास्थल के नजदीक पुलिस कैंप होने के बाद भी पुलिस घटनास्थल पर कम से कम एक घंटे बाद पहुंची. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि टंडवा इलाके में पिछले पांच-छह सालों में शायद ही कोई नक्सली वारदात हुई है.

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