रांचीः देश और राज्य का राजनीतिक भविष्य जनजातीय समाज ही तय करता है. फिलहाल कांग्रेस शासित राज्यों में जनजातीय समुदाय संकट के दौर से गुजर रहा है. यूपीए के साढ़े नौ साल के कार्यकाल में जनजातीय समुदाय के लिए कोई नया काम नहीं किया गया है. भाजपा ही अनुसूचित जनजाति के अधिकार, संस्कृति, परपंरा को अक्षुण रख सकती है. इनकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए सत्ता परिवर्तन जरूरी है. इसके लिए जनजातीय समुदाय को जागरूक होकर अपने हक की लड़ाई के लिए आगे आना होगा. यह बातें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोरचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गन सिंह कुलस्ते ने कही.
प्रदेश भाजपा अनुसूचित जनजाति मोरचा की कार्यकारिणी के समापन समारोह को संबोधित करते हुए श्री कुलस्ते ने कहा कि झारखंड में सरकार के 100 दिन पूरे हो गये हैं, लेकिन इस अवधि में जनजातीय समुदाय के लिए कोई काम नहीं किया गया है. बैठक में मोरचा की ओर से जनवरी माह में महासम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव पारित किया गया.
प्रदेश अध्यक्ष डॉ रवींद्र कुमार राय ने कहा कि फिलहाल देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति दयनीय है. आम आदमी हताश और निराश है. नेतृत्व करनेवाले खुद कटघरे में खड़े हैं. ऐसे में युवा कार्यकर्ताओं को सत्ता परिवर्तन के लिए आगे आना होगा.
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जनजातीय समुदाय को हक और अधिकार प्राप्त करने के लिए आक्रामक आंदोलन खड़ा करना चाहिए. जनजातीय समुदाय के पारंपरिक और सांस्कृति विरासत बचाने के लिए भाजपा खड़ी है. व्यापक दृष्टिकोण अपना कर काम करने से ही जनजातीय समुदाय का उत्थान संभव है.
दो दिनों तक चली इस बैठक में आदिवासी समुदाय से जुड़े 16 राजनीतिक प्रस्ताव पारित किये गये. इस अवसर पर मोरचा के प्रदेश अध्यक्ष समीर उरांव, सांसद सुदर्शन भगत, विधायक विमला प्रधान, सुनील सोरेन, पुत्कर हेंब्रम, दिनेश उरांव, लक्ष्मण टुडू समेत विभिन्न जिलों से आये कार्यसमिति के सैकड़ों प्रतिनिधि उपस्थित थे.