रांची: राज्य में एक ही गाड़ी का दो बार निबंधन करा कर व्यापक पैमाने पर टैक्स की हेराफेरी की जा रही है. यह काम परिवहन विभाग के अधिकारियों और वाहन मालिकों की मिलीभगत से हो रहा है. इस तरह के लगभग 54 मामले सामने आये हैं. पूरे राज्य भर में ऐसे टैक्स डिफॉल्टर्स पर लगभग 450 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया है. राज्य सरकार ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है. इसमें शामिल अधिकारियों को चिह्न्ति कर उन पर प्रशासनिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
साथ ही इस तरह की गाड़ियों को अविलंब जब्त कर संबंधित वाहन मालिकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया गया है. राज्य सरकार के इस आदेश के बाद ट्रांसपोर्टरों और अफसरों में हड़कंप है.
बढ़ सकती है गाड़ियों की संख्या : परिवहन विभाग को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात की प्रबल संभावना है कि टैक्स चोरी के उद्देश्य से जालसाजी का सहारा लेकर गाड़ियों का पुनर्निबंधन कराया गया है. अगर इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करायी जाये, तो गाड़ियों की संख्या और बढ़ सकती है. गलत ढंग से निबंधित गाड़ियां राज्य के विभिन्न जिलों धनबाद, कोडरमा, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, रांची, बोकारो, गुमला, पलामू और गिरिडीह में बेरोक-टोक चल रही हैं. मुख्य सचिव ने सभी गाड़ियों को अविलंब जब्त करने का निर्देश दिया है.
निर्देश पर भी कार्रवाई नहीं : इस पूरे मामले का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि कुछ माह पूर्व मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने टैक्स बकायेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था. लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गयी. टैक्स बकायेदारों की सूची विभाग के प्रवर्तन पदाधिकारी के पास भी है. सीएस ने उन्हें ऐसी गाड़ियों को पकड़ने का निर्देश भी दिया था. लेकिन अबतक इस ओर कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की गयी है.
450 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया
वाहन मालिकों और अफसरों की मिलीभगत से हो रहा है खेल
जालसाजी कर राज्य सरकार को लगाया जा रहा है चूना
संबंधित अफसरों को चिह्न्ति कर प्रशासनिक कार्रवाई का निर्देश
मामला गंभीर, आपराधिक मुकदमा दर्ज करें
‘‘डिफॉल्टर्स पर लगभग 450 करोड़ रुपये बकाया है. इसके लिए संबंधित पदाधिकारियों को जिम्मेवार बनाना चाहिए. अगर उनके द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है, तो उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए. यह गंभीर मसला है. इन मामलों में आवश्यक कानून कार्रवाई, जिसमें मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत गाड़ियों की जब्ती व जालसाजी कर निबंधन करने के लिए आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया जाये. और भी आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, तो करें.
आरएस शर्मा, मुख्य सचिव