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आधे आंगनबाड़ी केंद्र किराये के मकानों में

रांची: झारखंड में आधे आंगनबाड़ी केन्द्र किराये के मकानों में संचालित हो रहे हैं. 13 वें वित्त आयोग की राशि से 10 हजार नये आंगनबाड़ी केंद्र बनाये जाने हैं, लेकिन अनिर्णय की स्थिति से इनका निर्माण अधर में लटक गया है. गौरतलब है कि झारखंड सरकार राज्य के 38400 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पूरक […]

रांची: झारखंड में आधे आंगनबाड़ी केन्द्र किराये के मकानों में संचालित हो रहे हैं. 13 वें वित्त आयोग की राशि से 10 हजार नये आंगनबाड़ी केंद्र बनाये जाने हैं, लेकिन अनिर्णय की स्थिति से इनका निर्माण अधर में लटक गया है.

गौरतलब है कि झारखंड सरकार राज्य के 38400 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पूरक पोषाहार योजना चला रही है. 204 समेकित बाल विकास परियोजना के माध्यम से राज्य भर में आठ लाख गर्भवती महिलाएं, 17 हजार से अधिक धातृ महिलाएं और पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों को पूरक पोषाहार दिया जा रहा है.

इसके अतिरिक्त आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से चार लाख अति कुपोषित बच्चों के लिए भी जीवन आशा कार्यक्रम संचालित हो रहा है. आंगनबाड़ी केंद्रों को समाज कल्याण, महिला और बाल विकास विभाग की ओर से समय पर मासिक आवंटन नहीं मिलने से पोषाहार कार्यक्रम संचालित करने में परेशानी होती है. इन केंद्रों पर सहायिका और सेविकाएं पोषाहार कार्यक्रम संचालित कर रही हैं. एक केंद्र को औसतन 10 हजार रुपये प्रति माह सरकार की ओर से दिये जाते हैं. केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना पर सालाना 384 करोड़ से चार सौ करोड़ रुपये तक पोषाहार कार्यक्रम पर खर्च किये जाते हैं. राज्य में 204 बाल विकास परियोजनाओं के अंतर्गत 35881 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. राज्य के जनजातीय उप योजना के 14 जिलों और अन्य क्षेत्रीय उप योजना के 10 जिलों में 2551 लघु आंगनबाड़ी केंद्र चलाये जा रहे हैं.

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