रांची: राजधानी की बहुप्रतीक्षित सीवरेज योजना को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय ने तकनीकी स्वीकृति दे दी है. 725 करोड़ रुपये की इस योजना के लिए जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत 80 प्रतिशत अनुदान केंद्र से मिलेगा. शहरी विकास मंत्रलय की ओर से अब योजना से संबंधित संचिका पर प्रधानमंत्री से अनुमोदन लिया जायेगा. सूत्रों के अनुसार सितंबर में योजना से संबंधित अनुदान मिल जायेगा.
प्रस्तावित योजना 36 माह में पूरी की जायेगी. सीवरेज योजना शुरू करने के पूर्व रांची नगर निगम को झारखंड सरकार के राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से प्रशासनिक स्वीकृति लेनी होगी. राज्य सरकार इस योजना के लिए विश्व बैंक, जापान सरकार के जिका और अन्य एजेंसियों से कर्ज लेने पर भी विचार कर रही है.
क्या-क्या बनेगा सीवरेज में
सीवरेज सिस्टम के लिए राजधानी के 55 वार्डो को चार जोन में बांटा गया है. जोन-1 के तहत बड़गांई के किशुनपुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाया जायेगा. जोन-2 में लोवाडीह के पास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जायेगा.
जोन-3 और जोन-4 का एसटीपी घाघरा में बनाया जायेगा. इन प्लांट की क्षमता 196 मिलियन लीटर प्रति दिन की होगी. एसटीपी बनाने के लिए 11.45 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी. राज्य सरकार की ओर से एसटीपी के लिए जमीन भी चिह्न्ति कर ली गयी है.
शहर के सभी टायलेट के बीच सीवर लाइन की शत प्रतिशत कनेक्टिविटी सुनिश्चित कराना रांची नगर निगम की जवाबदेही होगी. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने में 173.70 करोड़ रुपये खर्च होने की भी संभावना है. ट्रेंचलेस विधि से रेलवे और हाइवे क्रासिंग पर सीवर लाइन बनाने में 4.10 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
758 किमी सीवर लाइन
इस योजना के तहत राजधानी में सीवर लाइन भी बनायी जायेगी. जोन-1 में 192 किलोमीटर, जोन-2 में 414.5 किलोमीटर, जोन तीन और जोन चार में 151.5 किलोमीटर की सीवर लाइन स्थापित की जायेगी. इन सेक्टरों में 150 मिलीमीटर से लेकर 12 सौ मिमी का सीवर लाइन बिछायी जायेगी. पूरे शहर में इस प्रणाली के लिए नौ पंपिंग स्टेशन स्थापित किये जायेंगे. इस पर 171.16 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.