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काम ठप, योजनाएं लटकी

हेमंत सोरेन की सरकार ने 13 जुलाई को कार्यभार संभाला था. सरकार बने 16 दिन हो गये. पर अब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है. मंत्रियों के नाम ही तय नहीं हो पाये हैं. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव की भी नियुक्ति नहीं हो पायी है. इससे सरकार का काम ठप है. विभागों में […]

हेमंत सोरेन की सरकार ने 13 जुलाई को कार्यभार संभाला था. सरकार बने 16 दिन हो गये. पर अब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है. मंत्रियों के नाम ही तय नहीं हो पाये हैं. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव की भी नियुक्ति नहीं हो पायी है. इससे सरकार का काम ठप है. विभागों में फाइलों का मूवमेंट करीब-करीब बंद हो गया है. इससे पहले मंत्रिमंडल के विस्तार और प्रधान सचिव की नियुक्ति में कभी इतनी देर नहीं हुई थी.

रांची: झारखंड में अब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने से चालू वित्तीय वर्ष की नयी योजनाओं को स्वीकृति नहीं मिल पा रही है. विभागों में फाइलों का मूवमेंट लगभग बंद है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री राजेंद्र सिंह व अन्नपूर्णा देवी ने 13 जुलाई को शपथ ली थी. 16 दिन गुजर गये, पर नौ अन्य मंत्रियों का चयन नहीं हो सका है. मुख्यमंत्री और दोनों मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी नहीं हुआ है. यहां तक की अब तक प्रधान सचिव की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है. इससे सचिवालय का कामकाज प्रभावित हो रहा है. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान निर्धारित करीब 500 करोड़ रुपये की नयी योजनाओं पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा है. अधिकारी असमंजस में हैं. विभागों में भी केवल संभावित मंत्री पर चर्चा हो रही है.

नहीं हो पा रहा नीतिगत निर्णय
राज्य में लागू कार्यपालिका नियमावली के तहत 10 करोड़ तक की नयी योजनाओं को विभाग अपने ही स्तर से क्रियान्वित कर सकता है. इसके लिए विभागीय मंत्री की सहमति आवश्यक है. 10-20 करोड़ की योजनाओं पर विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की सहमति के बाद इसे विभाग अपने स्तर के क्रियान्वित कर सकता है. 20 करोड़ से अधिक की योजनाओं को कैबिनेट की सहमति के बाद विभाग क्रियान्वित कर सकता है. पर विभागों में अभी मंत्री ही नहीं हैं. इससे इन योजनाओं से संबंधित काम ठप है. साथ ही चालू वित्तीय वर्ष के दौरान जिन सामान्य नीतिगत निर्णयों पर विभागीय मंत्री या मुख्यमंत्री की सहमति आवश्यक है, वैसी फाइलों का मूवमेंट भी पूरी तरह ठप हो गया है.

पहले राष्ट्रपति शासन, अब बनी लोकप्रिय सरकार
राष्ट्रपति शासन के दौरान एक अप्रैल 2013 से चालू वित्तीय वर्ष (2013-14) की शुरुआत हुई. जून में सरकार गठन की कोशिश तेज होने से राष्ट्रपति शासन में कार्यो की गति थोड़ी धीमी पड़ने लगी. राज्यपाल के सलाहकारों ने यह कहते हुए नीतिगत निर्णय लेने बंद कर दिये कि अब लोकप्रिय सरकार ही इस पर फैसला लेगी. पर राज्य में लोकप्रिय सरकार के गठन के बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया है.

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