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झारखंड विस का सत्र अब 18 और 25 जुलाई को दो दिन

रांची : झारखंड में नवगठित हेमंत सोरेन सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 18 जुलाई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है जबकि राज्यपाल के अभिभाषण के लिए विधानसभा की कार्यवाही 25 जुलाई को एक दिन और बढ़ा दी गयी है. हेमंत सोरेन सरकार ने आज मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर इस सिलसिले में […]

रांची : झारखंड में नवगठित हेमंत सोरेन सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 18 जुलाई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है जबकि राज्यपाल के अभिभाषण के लिए विधानसभा की कार्यवाही 25 जुलाई को एक दिन और बढ़ा दी गयी है.

हेमंत सोरेन सरकार ने आज मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर इस सिलसिले में फैसला किया जिससे इस वर्ष विधानसभा को राज्यपाल द्वारा संबोधित करने का कार्यक्रम भी साथ ही संपन्न हो जाये.

एक आधिकारिक सूचना में बताया गया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 176 (1) के तहत राज्यपाल का अभिभाषण कैलेंडर वर्ष में विधानसभा की पहली कार्रवाई में पहले दिन होता है जिसे संतुष्ट करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने अब 18 जुलाई को विश्वास मत हासिल करने के बाद 25 जुलाई को एक दिन और विधानसभा की कार्यवाही बुलाने की राज्यपाल से अनुशंसा की है जिससे उस दिन राज्यपाल विधानसभा को संबोधित कर सकें.

आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार हेमंत सोरेन अपनी सरकार के लिए विश्वास मत का प्रस्ताव सदन में 18 जुलाई को पेश करेंगे जिसके बाद उस पर बहस और मतदान होगा. विधानसभा की 18 तारीख को होने वाली कार्यवाही को लेकर सरकार में फिलहाल खलबली है क्योंकि वर्तमान विधानसभाध्यक्ष चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह ने अब तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है और सत्ता पक्ष के अनेक नेता उनसे मिलकर उनसे अपने पद से इस्तीफा देने का आग्रह कर चुके हैं.

इस बीच आज नई सरकार के कैबिनेट मंत्री कांग्रेस विधायक दल के नेता राजेन्द्र सिंह ने विधानसभा पहुंच कर विधानसभाध्यक्ष सीपी सिंह से उनके कार्यालय में मुलाकात की. दोनों के बीच में क्या बातचीत हुई, अभी यह आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है लेकिन विधानसभाध्यक्ष के निकटस्थ सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि कांग्रेस नेता ने एक बार फिर आज सीपी सिंह से विधानसभाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का अनुरोध किया.

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यदि भाजपा ने अपने विधायक विधानसभाध्यक्ष सीपी सिंह को कहा कि वह स्वयं अध्यक्ष का पद छोड़ें तो उन्हें हटाने के लिए नियमानुसार नई सरकार को 14 दिनों का नोटिस देकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना होगा और विधानसभा में मतदान के द्वारा ही उन्हें हटाया जा सकता है.

सीपी सिंह के विधानसभाध्यक्ष रहते हेमंत सरकार को अपना बहुमत साबित करना भारी पड़ सकता है क्योंकि उन्हें आशंका है कि अनेक दागी विधायकों के समर्थन की बदौलत अल्प बहुमत से उनकी बनायी सरकार को विधानसभाध्यक्ष संभव है कि बहुमत हासिल करने दें.

सर्वोच्च न्यायालय के आरोप सिद्ध विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के बारे में हाल में आये फैसले के मद्देनजर सीपी सिंह के कड़ा रुख अख्तियार करने की आशंका से भी कांग्रेस, झामुमो और राजद परेशान हैं.

इस बीच दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ने की मंशा भी सीपी सिंह के विधानसभाध्यक्ष रहते सत्ताधारी दल पूरी नहीं कर सकेंगे जिसके चलते इस समय राज्य में राजनीतिक सरगर्मी का अखाड़ा विधानसभा और निशाना विधानसभाध्यक्ष की कुर्सी हो गयी है.

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