रांची: बुधवार को रिम्स के इमरजेंसी के अलावा वार्ड में भी मरीजों का इलाज प्रभावित रहा. अव्यवस्थित चिकित्सा सेवा से आशंकित मरीजों ने अस्पताल छोड़ना दूसरे अस्पतालों में जाना शुरू कर दिया है. बुधवार की शाम तक करीब 300 मरीज अस्पताल छोड़ कर चले गये. पिछले कुछ दिनों से हो रही घटना के बाद मरीज रिम्स आने से परहेज कर रहे हैं.
महत्वपूर्ण वार्ड आइसीयू, आइसीसीयू एवं ट्रामा सेंटर में मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में कम हो गयी है. कई वार्ड में आधा दर्जन से भी कम मरीज भरती हैं. इमरजेंसी में मरीजों की भरती बुधवार को भी नहीं हुई. कई मरीज इमरजेंसी से वापस भेज दिये गये.
सीनियर्स ने दिया परामर्श
बुधवार को रिम्स ओपीडी में सीनियर चिकित्सकों ने मरीजों को परामर्श दिया. डॉ आरके झा की यूनिट के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ संजय सिंह ने मरीजों का इलाज किया. दो दिनों से ओपीडी सेवा प्रभावित होने के बाद तीसरे दिन बुधवार को मेडिसिन, सजर्री सहित सभी ओपीडी में मरीजों की ज्यादा भीड़ दिखी. मरीजों की लंबी कतार लगी हुई थी.
रिम्स भेजे जायेंगे 40 डॉक्टर
स्वास्थ्य विभाग रिम्स के लिए अतिरिक्त 40 चिकित्सकों की व्यवस्था करेगा. संयुक्त सचिव बीके मिश्र ने कहा है कि मरीजों के इलाज में चिकित्सकों की कमी बाधा नहीं बनेगी. सदर व अन्य अस्पतालों से करीब 40 चिकित्सक रिम्स भेजे जायेंगे.
जूनियर डॉक्टरों पर मुकदमा करने की मांग
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने व मरीज व परिजनों के साथ मारपीट किये जाने की घटना की प्रदेश युवा कांग्रेस ने निंदा की है. युवा कांग्रेस के सचिव राजेश सिन्हा ने कहा कि ऐसे डॉक्टरों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.
नहीं हुआ इलाज गये निजी अस्पताल
धनबाद से आये अमित अपने पिता का इलाज करवाने रिम्स आये थे, लेकिन उनके पिता का इलाज नहीं हुआ. मरीज को किडनी की समस्या है. उसे डायलिसिस की आवश्यकता थी. वह डायलिसिस यूनिट में इलाज के लिए गया, लेकिन उन्हें लौटना पड़ा. बाद में अमित मरीज को इलाज के लिए निजी अस्पताल में ले गया.