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केंद्र सरकार से 33,430 करोड़ की मांग की

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल कंपनियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही जमीन के रेंट के एवज में केंद्र सरकार से 33,430 करोड़ रुपये की मांग की है. केंद्रीय कोयला व ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ हुई बैठक में उन्होंने यह मांग रखते हुए कहा कि कोल कंपनियों द्वारा अधिग्रहित सरकारी भूमि के […]

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल कंपनियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही जमीन के रेंट के एवज में केंद्र सरकार से 33,430 करोड़ रुपये की मांग की है. केंद्रीय कोयला व ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ हुई बैठक में उन्होंने यह मांग रखते हुए कहा कि कोल कंपनियों द्वारा अधिग्रहित सरकारी भूमि के बदले मुआवजा राशि नहीं दी जा रही है, जिससे राज्य सरकार को लाभ नहीं मिल रहा है.

30 वर्ष बीतने के बावजूद राष्ट्रीय कोल माइंस लीज का नवीकरण नहीं कराया गया है, जबकि उत्खनन लगातार जारी है. लीज नवीकरण नहीं करने के फलस्वरूप सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है. ऐसे उत्खनन को अवैध माना जा सकता है. हालांकि केंद्रीय मंत्री ने फिलहाल इसे देने से इनकार कर दिया. उन्होंने इसकी जांच कराने की बात कही. उन्होंने कहा कि जो भी नियम संगत होगा, केंद्र उसे देने के लिए तैयार है.

सीएम ने रायल्टी के पुनर्गठन की बात करते हुए इसे 20 प्रतिशत करने की मांग की. यह भी कहा कि जहां कोल माइंस के साथ वाशरी भी संस्थापित है, वहां उत्खनित कोयले के बदले वाशरी कोल पर रायल्टी निर्धारित की जाये. मंत्री ने कहा कि रायल्टी अब एड वलनेरेबल है. सरकार माइंस चलवाने का प्रयास करे, तो न केवल रायल्टी में तीन गुणा इजाफा होगा, बल्कि एक लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा. मुख्यमंत्री ने कोल ब्लॉक के लिए अधिगृहित की जा रही भूमि की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि रैयतों को सही स्थिति की जानकारी नहीं मिलने से बाद में विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होती है. श्री गोयल ने इस पर सहमति जतायी है.

वाहनों का निबंधन होगा : बैठक में अवैध उत्खनन की रोकथाम पर भी विमर्श किया गया. कहा गया कि सीआइएसएफ एवं एसआइएसएफ दोनों मिल कर अवैध उत्खनन की रोक के लिए प्रयासरत रहें. कोयला कंपनियों द्वारा कोयले की ढुलाई हेतु प्रयोग किए जा रहे वाहनों के पंजीकृत नहीं किये जाने की समस्या पर भी केंद्रीय मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया गया. इस पर श्री गोयल ने कहा कि वाहनों का पंजीकरण अवश्य होनी चाहिए. किसी भी परिस्थिति में मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन न हो, इसके प्रति सभी कंपनियां सचेत रहें.

90 प्रतिशत उत्खनन कार्य पूर्ण : मुख्यमंत्री ने जिन क्षेत्रों में कोयला का उत्खनन लगभग पूर्ण है, उन क्षेत्रों के रिक्लेमेशन की बात भी रखी. उन्होंने बताया कि लगभग सभी क्षेत्रों में 90 प्रतिशत उत्खनन कार्य पूर्ण है, पर उन क्षेत्रों को पुन: स्थापित नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों के रिक्लेम हो जाने से बहुत बड़े इलाके में वन क्षेत्र उगाये जा सकते हैं या लोगों को बसाये जा सकते हैं. मंत्री ने पूरे क्षेत्र के अध्ययन कराने की बात कही. जहां भी अब उत्खनन नहीं होगा, वहां पुनस्र्थापित करने की बात कही. मुख्यमंत्री की मांग पर मंत्री ने टंडवा-बालूमाथ सड़क सीसीएल द्वारा बनावाने की बात कही. उन्होंने कहा कि संबंधित सड़क को राष्ट्रीय उच्च पथ घोषित करने हेतु राज्य सरकार केंद्र सरकार को अनुरोध पत्र दे, कें द्र सरकार आगे की कार्रवाई शीघ्र करेगी. मुख्यमंत्री ने झरिया की समस्या को भी रखा इस पर मंत्री ने कहा कि इसके लिए अलग से प्राधिकार बनाया जाये. लोगों को बसाने के लिए केंद्र सरकार पूरी राशि देगी. उन्होंने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बना कर सर्वे कराने का सुझाव भी दिया. बैठक में मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद, डीजीपी राजीव कुमार, सीएम के प्रधान सचिव एसके सत्पथी, प्रधान सचिव गृह एनएन पांडेय, समेत राज्य व केंद्र सरकार के अधिकारी उपस्थित थे.

दोगुना उत्खनन करने का निर्देश
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कोल ब्लॉक आवंटन की स्वीकृति से संबंधित मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, अगले माह निर्णय संभावित है. इसके बाद केंद्र सरकार अनुमोदन करेगी. मंत्री ने कोल कंपनियों को कम से कम दोगुना उत्खनन करने का निर्देश दिया. सीएम की मांग पर मंत्री ने कोल कंपनियों को लाभांश का दो प्रतिशत सीएसआर पर खर्च करने का निर्देश दिया. इस कार्य में संबंधित जिले के उपायुक्तों, स्थानीय सांसदों एवं विधायकों को भी शामिल करने की बात कही. तीनों कंपनियों द्वारा कम से कम 75 करोड़ रुपये सीएसआर पर खर्च करने की बात कही. उन्होंने कहा कि सीएसआर के तहत इस वर्ष विद्यालय एवं शौचालय निर्माण पर कंपनियां जोर दें.

और कोल ब्लॉक दिये जायेंगे
बैठक में बिजली की चर्चा पर उन्होंने कहा डीवीसी के बकाये की बात उठी. डीवीसी द्वारा आठ हजार आठ सौ 83 करोड़ बकाये की बात कही गयी. इस पर ऊर्जा विकास निगम द्वारा 3452 करोड़ ही बकाया बताया गया. मंत्री ने कहा कि जो भी बकाया है, उसका भुगतान होना चाहिए. बिजली कंपनियों के लिए और कोल ब्लॉक की मांग की गयी. मंत्री ने कहा कि पहले सरकार इन तीनों कोल ब्लॉक को आरंभ करे. उत्पादन बढ़ेगा तो और कोल ब्लॉक दिये जायेंगे. एफआरपी के तहत बिजली कंपनियों को राशि देने की बात उन्होंने कही. केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार को एक हजार मेगावाट के अल्ट्रा सोलर प्लांट के स्थापना का सुझाव दिया.

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