23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अखबार नहीं, बदलाव का हथियार

डॉ एचपी नारायण प्रभात खबर समाज को जोड़ने का काम करता आया है. अखबार के माध्यम से कैसे सामाजिक दायित्वों का निर्वहन किया जाये, यह बखूबी निभाता रहा है. मूल्य आधारित पत्रकारिता करने की वजह से से समाज में इस अखबार की अलग पहचान है. मैं इससे बहुत पहले से जुड़ा हूं, पुराना पाठक हूं. […]

डॉ एचपी नारायण

प्रभात खबर समाज को जोड़ने का काम करता आया है. अखबार के माध्यम से कैसे सामाजिक दायित्वों का निर्वहन किया जाये, यह बखूबी निभाता रहा है. मूल्य आधारित पत्रकारिता करने की वजह से से समाज में इस अखबार की अलग पहचान है. मैं इससे बहुत पहले से जुड़ा हूं, पुराना पाठक हूं. अखबार में पहले न्यूज व व्यूज पहले भी आते थे, लेकिन अब वह सामाजिक दायित्व का काम भी करता है. ‘अखबार नहीं आंदोलन’ के नारे को प्रभात खबर आज भी चरितार्थ कर रहा है. विश्वसनीयता के रूप में इसकी अलग पहचान बनी हुई है, जिसे बरकरार रखना आज के दौर में चुनौतीपूर्ण है. बिहार राज्य का बंटवारा वर्ष 2000 में हुआ.

नये सोच के साथ नये राज्य झारखंड का गठन किया गया, लेकिन कुछ दिन बाद राज्य में भूचाल आ गया. स्थानीयता एवं बाहरी का मुद्दा गरमाया. खूनी संघर्ष तक हुआ, जिसमें कई लोगों की जान चली गयी. कई लोग इस मौके का वोट की राजनीति के लिए उपयोग कर रहे थे. प्रभात खबर ने इस दौरान अपनी लेखनी से राज्य को एक नयी दिशा दी.लोगों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में अपनी भूमिका निभायी. राज्य गठन के बाद से अभी तक जितनी सरकारें बनी हैं, वो गद्दी बचाने में लगी रहीं. किसी के पास कोई दृष्टि नहीं रही. नतीजा यह हुआ कि राज्य का विकास नहीं हुआ. झारखंड आज भी अन्य राज्यों से पिछड़ा हुआ है. प्रभात खबर ने प्रारंभ से ही राज्य के विकास में अपनी भूमिका निभायी है.

विकास के मुद्दे को वह लगातार उठाता रहा है, ताकि यहां के राजनैतिक सोच में बदलाव आये और राज्य का विकास हो. मुझे कुछ-कुछ याद आ रहा है कि प्रभात खबर का 15 नवंबर 2000 का अंक, जो लगभग 75 पेज का था, काफी सराहनीय था. इसमें राज्य के हालात पर शोधपरक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थीं, जो संग्रहणीय था.अलग राज्य बनने के बाद झारखंड की प्रगति तो नहीं हुई, लेकिन एक काम अवश्य हुआ; भ्रष्टाचार एवं लूट-खसोट ने जन्म ले लिया. यहां की खनिज संपदा बेच दी गयी. बड़े- बड़े घोटाले हुए. जनप्रतिनिधि अपने सामाजिक दायित्वों को भुला कर लूटपाट में लग गये. विश्व पटल पर राज्य की पहचान एक भ्रष्ट एवं घोटालेवाले राज्य में रूप में बन गयी. मुङो याद है, एक बार विदेश जाने के क्रम में एक विदेशी (चीन निवासी) सहयोगी से मुलाकात हुई.

उन्होंने पूछा, आप कहां से आये हैं. मैंने बताया, भारत से. उन्होंने कहा, भारत में कहां? बताया- झारखंड, जहां के धौनी हैं. मैंने सोचा यह सबसे उपयुक्त पहचान होगी, लेकिन विदेशी सज्जन ने कहा कि हमारे यहां तो क्रिकेट प्रचलित नहीं है. मैं इनको नहीं जानता हूं. फिर दिमाग पर जोर डालते हुए उस विदेशी सहयोगी ने कहा कि उसी राज्य से जहां एक नेता ने बहुत लूट की थी, जिनका नाम बहुत चर्चित रहा था.वह राजनेता राजनीति के शीर्ष पर थे. मुझे याद है कि इस घोटाले को प्रभात खबर ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था. प्रत्येक दिन इस घोटाले से संबंधित लेख प्रकाशित होते थे. विस्तृत, तथ्यपरक खबरों ने राज्य की राजनीति के अर्श पर बैठे भ्रष्ट नेताओं को फर्श पर ला दिया. नेताओं को जेल की हवा तक खानी पड़ी.

प्रभात खबर ने कंटेंट के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी है. इसी का नतीजा है कि आज के दौर में इस अखबार ने पाठक वर्ग के बीच अपनी अलग पहचान बना रखी है. मैं सभी अखबार पढ़ता हूं, लेकिन जब तक प्रभात खबर नहीं पढ़ता, लगता है कुछ छूट गया है. कॉरपोरेट जगत के लोग राज्य बनने के बाद बहुत आशा लगाये हुए थे कि खनिज भंडार से परिपूर्ण इस राज्य में व्यवसाय किया जा सकता है.कई कॉरपोरेट यहां आये भी, लेकिन उन्हें स्थिति बिलकुल विपरीत लगी. कुछ दिनों तक यहां की भौगोलिक स्थिति जानने एवं क्षेत्र भ्रमण के बाद उन्हें लौटना पड़ा. या कहें कि उन्हें राज्य छोड़ कर भागना पड़ा. फिर भी, प्रभात खबर ने यहां औद्योगिक व आर्थिक विकास तेज करने में अपनी भूमिका निभायी है. देश-दुनिया को बताया कि यहां भी व्यवसाय किया जा सकता है. यही कारण है कि आज यहां कुछ नये उद्योग लग पाये हैं.

(लेखक रांची में वरिष्ठ न्यूरो सजर्न हैं)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें