रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को दो मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार व अधिकारियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस आर भानुमति व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने हजारीबाग के जंगलों में जजर्र आवास में रहने को विवश आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों के मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर राज्य सरकार, मुख्य सचिव व हजारीबाग के उपायुक्त को नोटिस जारी कर उन्हें जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
25 जून तक शपथ पत्र दायर करने को कहा. सुनवाई के लिए 26 जून की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि लगभग 15 वर्ष पूर्व सरकार द्वारा आवास बना कर बिरहोर परिवारों को दिया गया था. आवास जजर्र हो चुके हैं. अधिकतर आवासों की छत भी नहीं है.
पूछा, सारंडा में सरकार क्या कदम उठा रही है : खंडपीठ ने सारंडा जंगल व आसपास के क्षेत्रों में शुद्ध पीने के पानी की समस्या को देखते हुए इस मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. केंद्र सरकार, राज्य सरकार, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव व चाईबासा के उपायुक्त को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. शपथ पत्र के माध्यम से 25 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी. खंडपीठ ने पूछा कि लोगों को पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार क्या कदम उठा रही है.
खंडपीठ ने केंद्र सरकार को सारंडा एक्शन प्लान से संबंधित स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि सारंडा क्षेत्र में पीने के पानी की गंभीर समस्या है. अधिकतर तालाब व कुएं सूख गये हैं. ग्रामीणों को कई किमी पैदल चल कर दूर-दराज से पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है. सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.