रांची: चारा घोटाले में लालू प्रसाद की याचिका पर मंगलवार को आंशिक सुनवाई हुई. लालू प्रसाद ने कांड संख्या आरसी 64ए/96 को बंद करने के लिए याचिका दायर की है. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में वरीय अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद ने दलील पेश की.
उन्होंने कहा कि कांड संख्या आरसी 20ए/96 और आरसी 64ए/ एक ही है. दोनों ही मामलों में लालू प्रसाद पर पशुपालन अधिकारियों द्वारा रची गयी साजिश में शामिल होने और घोटालेबाज अधिकारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप है. दोनों मामले में दस्तावेजी साक्ष्य की एक ही हैं.लालू प्रसाद को आरसी 20ए/ 96 में सजा हो चुकी है. इसलिए सीआरपीसी की धारा 300 में निहित प्रावधानों के तहत अब उनके विरुद्ध आरसी64ए/96 में सजा नहीं दी जा सकती है.
लालू प्रसाद की ओर से सीआरपीसी 300 के अलावा संविधान के अनुच्छेद 20(2) का हवाला देते हुए कहा गया कि एक ही तरह के आरोपों और साक्ष्यों के आधार पर किसी अभियुक्त को एक मामले में सजा होने के बाद उसे दूसरे मामले में सजा नहीं दी जा सकती है. सीबीआइ ने अपना पक्ष पेश करते हुए आरसी64/ए96 को आरसी 20ए/96 से अलग बताया गया. सीबीआइ के अधिवक्ता राकेश प्रसाद ने दलील देते हुए कहा कि दोनों मामलों में कुछ ही साक्ष्य एक हैं. दोनों मामलों में अभियुक्त अलग-अलग हैं. जालसाजी कर निकाली गयी राशि और जगह अलग-अलग है. इसलिए दोनों मामले एक नहीं हैं और अभियुक्त को सीआरपीसी की धारा 300 का लाभ नहीं दिया जा सकता है.