रांची: झारखंड में इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को बूथ मैनेजमेंट पर कम से कम 20 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ सकता है. राजनीतिक दलों के लिए चुनाव प्रचार-प्रसार के साथ बेहतर बूथ मैनेजमेंट भी काफी मायने रखता है. पूरे राज्य में 24649 बूथ बनाये गये हैं. कुल 14 सीटों को मिला कर चुनाव मैदान में प्रमुख राजनीतिक दलों के करीब 100 प्रत्याशी रेस में होंगे.
ये वैसे प्रत्याशी हैं, जो बूथों पर अपने कार्यकर्ताओं को तैनात करेंगे. एक बूथ पर कार्यकर्ता को बैठाने के लिए हालांकि राजनीतिक दल अपने हिसाब से अलग-अलग राशि खर्च करते हैं. कई राजनीतिक दल चार से पांच हजार रुपये तक खर्च करते हैं. इन प्रत्याशियों के इस खर्च की औसत पर नजर डालें, तो कम से कम 1500 रुपये तक हर बूथ पर खर्च होंगे.
इस हिसाब से देखा जाये, तो राज्य में केवल बूथ मैनेजमेंट पर प्रमुख राजनीतिक दलों को 20 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. यहां उल्लेखनीय है कि कई राजनीतिक दलों ने राज्य की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं दिये हैं, इसलिए उनका खर्च बूथ मैनेजमेंट पर कम हो सकता है.
पिछले चुनाव में तीन हजार तक मिला था बूथ खर्च : कई राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने बताया कि पिछले चुनाव में तीन-तीन हजार रुपये तक बूथ खर्च के लिए मिले थे. इस बार उससे ज्यादा की उम्मीद कार्यकर्ता कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि बूथ खर्च से कई लड़कों को नाश्ता-पानी कराना पड़ता है. जो पोलिंग एजेंट के रूप में बैठता है, उसे कुछ कैश भी देना पड़ता है. महंगाई बढ़ गयी है, इसलिए पहलेवाले खर्च से काम नहीं चलनेवाला है.
70 लाख खर्च करना है एक प्रत्याशी को
लोकसभा चुनाव के दौरान एक प्रत्याशी को 70 लाख रुपये खर्च करने का लक्ष्य है. करीब 100 प्रत्याशी अगर पूरी राशि खर्च करेंगे, तो करीब 70 करोड़ रुपये खर्च करना होगा. इसमें से 20 करोड़ रुपये से अधिक केवल बूथ मैनेजमेंट पर खर्च होने की संभावना है.