डॉ एस प्रसाद, संचालक, कांके अस्पताल
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खतरनाक: नियमों का उल्लंघन कर रहे राजधानी के अस्पताल, ब्लड बैंक भी दे रहे साथ, बिना जांचे मरीज को चढ़ा दिया खून
राजधानी के कुछ अस्पताल मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. नियमत: किसी मरीज को डाेनर (रक्तदाता) का खून चढ़ाने से पहले उसकी स्क्रीनिंग की जानी चाहिए. देखना चाहिए कि खून संक्रमित तो नहीं है, लेकिन राजधानी के कुछ अस्पतालों में डोनर से खून ले कर क्रॉस मैचिंग करा कर सीधे मरीज को […]
राजधानी के कुछ अस्पताल मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. नियमत: किसी मरीज को डाेनर (रक्तदाता) का खून चढ़ाने से पहले उसकी स्क्रीनिंग की जानी चाहिए. देखना चाहिए कि खून संक्रमित तो नहीं है, लेकिन राजधानी के कुछ अस्पतालों में डोनर से खून ले कर क्रॉस मैचिंग करा कर सीधे मरीज को चढ़ा दिया जा रहा है. ऐसे में मरीज को संक्रमित खून चढ़ने की संभावना बनी रहती है. नियमों के उल्लंघन में अस्पताल आैर ब्लड बैंकों की सांठगांठ बतायी जा रही है.
रांची : राजधानी के कांके अस्पताल में एक ऐसा ही मामला मंगलवार को सामने आया है. अस्पताल में डोनर से खून लेकर बिना स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी किये ही मरीज को खून चढ़ा दिया गया. मरीज कांके अस्पताल में भरती है. मरीज के परिजनों को बताया गया कि मरीज को खून चढ़ाने से पूर्व जांच की गयी है. लेकिन सूत्र का कहना है कि डोनर से खून लेने के कुछ देर बाद ही उसे मरीज को चढ़ा दिया गया. जबकि खून की सामान्य जांच में करीब एक से दो घंटे का समय लगता है. आशंका जतायी जा रही है कि राजधानी के कई अन्य अस्पतालों में भी ऐसे ही मानकों का उल्लंघन किया जाता होगा.
ऐसे सामने आया मामला
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के एक ड्राइवर का रिश्तेदार कांके अस्पताल में भरती है. मरीज के परिजनों को डाॅक्टर ने खून की व्यवस्था करने को कहा. ड्राइवर ने कॉलेज के विद्यार्थियों व लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा ने संपर्क किया. खून की व्यवस्था होने की जानकारी जब अतुल गेरा ने ड्रावर को दी, तो उसने बताया कि डोनर आ गये हैं. खून निकाला जा रहा है. एक छात्रा खून दे रही है. बाद में पता चला कि झारखंड ब्लड बैंक का एक कर्मचारी ब्लड निकालने वहां पहुंचा है. जब छात्रों ने कर्मचारी से पूछा कि अाप जांच कैसे करेंगे, तो उसका कहना था कि जांच हो जायेगी. मरीज के खून चढ़ा दिया जायेगा.
ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय से सीधी बातचीत
मरीज को खून चढ़ाने का क्या नियम है?
लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक से जांच कराया गया खून ही चढ़ाया जाता है. ब्लड बैंक को खून की जांच के लिए नॉको की गाइड लाइन का अनुपालन करना है. अगर वह एेसा नहीं करते है, तो यह नियम विरुद्ध है.
क्या अस्पताल रक्तदाता से अस्पताल में ही खून लेकर मरीज को चढ़ा सकते हैं?
अस्पताल को अगर ब्लड बैंक का लाइसेंस नहीं है, तो वह अस्पताल में रक्त नहीं ले सकते हैं और मरीज को चढ़ा नहीं सकते हैं. यह क्राइम है. बिना स्क्रीनिंग के ब्लड नहीं चढ़ाया जा सकता है.
ब्लड बैंक को क्राॅस मैंचिंग रिपोर्ट देनी है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है?
अधिकांश ब्लड बैंक क्राॅस मैचिंग की रिपोर्ट खून के साथ देते हैं. कुछ इसका पालन नहीं कर रहे थे, लेकिन वह अब क्राॅस मैचिंग रिपोर्ट दे रहे हैं. ब्लड बैंक की जांच भी हुई है.
अस्पताल में अगर खून लेकर वहीं मरीज को चढ़ा रहे है, तो क्या कार्रवाई हो सकती है?
अगर अस्पताल यह कर रहे है, तो उन पर नियम संगत कार्रवाई की जायेगी. इसमें जो ब्लड बैंक संलिप्त पाये गये, उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा. अस्पताल पर कार्रवाई के लिए सरकार को लिखा जायेगा.
मरीज की स्थिति गंभीर है. लीवर फेल्योर है. पेशाब और पखाना से खून आ रहा है. खून की कमी है, इसलिए खून की व्यवस्था करने के लिए कहा गया था. लॉ यूनिर्सिटी की एक छात्रा ने कहा कि आप यहीं मेरा खून ले लीजिए. उसके आग्रह पर झारखंड ब्लड बैंक को बुलाया गया. ब्लड बैंक ने आवश्यक जांच की. खून चढ़ाया गया. यह मरीज के जीवन को बचाने के लिए किया गया है.
डॉ एस प्रसाद, संचालक, कांके अस्पताल
डॉ एस प्रसाद, संचालक, कांके अस्पताल
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