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जलनिकासी नहीं होने से लोग परेशान

चिंताजनक. धीमी गति से हो रहा सीवरेज प्लांट का निर्माण, निराश हैं नगरवासी हाजीपुर : शहर में सीवरेज निर्माण का काम कब पूरा होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है. जलजमाव से मुक्ति और गंदे पानी की निकासी के लिए बनायी गयी इस महत्वाकांक्षी योजना में काम की रफ्तार को देख निराश हो चले […]

चिंताजनक. धीमी गति से हो रहा सीवरेज प्लांट का निर्माण, निराश हैं नगरवासी

हाजीपुर : शहर में सीवरेज निर्माण का काम कब पूरा होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है. जलजमाव से मुक्ति और गंदे पानी की निकासी के लिए बनायी गयी इस महत्वाकांक्षी योजना में काम की रफ्तार को देख निराश हो चले हैं नगरवासी. इस साल भी जलजमाव की समस्या से निजात मिलने की उम्मीद पर पानी फिर गया है. योजना की हालत देखने से पता चलता है कि शायद इसमें कई साल और लग जायेंगे.
दो साल में पूरी होनी थी योजना : शहर में सीवरेज निर्माण और ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुए पांच साल हो गये. हाजीपुर शहरी क्षेत्र से निकलनेवाले गंदे पानी को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये नदी में बहाये जाने की योजना के तहत सीवरेज निर्माण का काम बुडको की देखरेख में शुरू हुआ. दो साल में यह योजना पूरी हो जानी थी. स्थिति यह है कि पांच साल हो गये, लेकिन आधा काम भी नहीं हो पाया है. 12 अप्रैल, 2010 को इस प्रोजेक्ट की अनुमति मिली थी. नेशनल गंगा बेसिन ऑथोरिटी ने इसके लिए 113 करोड़ 62 लाख रुपये उपलब्ध कराये थे. 12 दिसंबर, 2011 को नगर में सीवरेज निर्माण का काम शुरू हुआ. दिसंबर 2013 तक इसे पूरा कर लेना था.
चीन की कंपनी करा रही है निर्माण कार्य : सीवरेज निर्माण का काम चीन की कंपनी एमएस ट्राइटेक के जिम्मे है. बिहार कार्बन इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की देखरेख में इस योजना पर काम चल रहा है. एमएस इंडिया लिमिटेड को सुपरविजन का दायित्व मिला हुआ है. इस योजना के तहत 198 किलोमीटर के सीवर नेटवर्क में 11,382 मैनहोल तथा 4 पंपिंग स्टेशन का निर्माण होना है. इसके अलावा लगभग 30 एकड़ में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण हो रहा है. इस काम को पूरा करने के लिए निर्माण कंपनी ने शहरी क्षेत्र को पांच जोनों में बांटा गया है. अभी तक एक जोन का काम भी शायद ही पूरा हो सका है.
प्रोजेक्ट पूरा होने में लग जायेंगे कई साल, 60 फीसदी काम अब भी बाकी
कम होती गयी काम की रफ्तार
सीवरेज निर्माण की शुरुआत में तो काम की रफ्तार ठीक रही, लेकिन आगे चल कर इसकी गति मंद पड़ने लगी. चाहे जिन कारणों से काम में शिथिलता आयी हो, लेकिन 2014 में निर्माण कार्य की स्थिति बेहद निराशाजनक थी. इसे देखते हुए योजना अवधि का विस्तार कर मार्च 2015 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया. यह समय सीमा भी बीत गयी, लेकिन 20 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हो पाया. तब और नौ महीने का समय लेकर इसे दिसंबर, 2015 तक पूरा करने का लक्ष्य बना. यह समय भी बीत गया, लेकिन 60 प्रतिशत से ज्यादा काम अभी तक बाकी है. शासन प्रशासन के निर्देशों के बावजूद कार्य एजेंसी पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा. काम की रफ्तार में कोई तेजी नहीं दिखायी पड़ रही. योजना पूरी होने में जरूरत से ज्यादा विलंब के कारण इसकी लागत भी बढ़ती चली जा रही है.

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