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नृत्य-संगीत से गुलजार रही वैशाली

वैशाली महोत्सव. अंतिम दिन गीत-संगीत पर झूम उठे दर्शक, कलाकारों ने महोत्सव को बनाया यादगार ग्रेसी सिंह ने नृत्य की प्रस्तुति से आम्रपाली की याद को किया ताजा गुरुवार को वैशाली महोत्सव के तीनदिवसीय आयोजन का समापन हो गया. तीनों दिन विभिन्न जगहों से आये कलाकारों ने अपनी शानदार कला की प्रस्तुति से लोगों को […]

वैशाली महोत्सव. अंतिम दिन गीत-संगीत पर झूम उठे दर्शक, कलाकारों ने महोत्सव को बनाया यादगार

ग्रेसी सिंह ने नृत्य की प्रस्तुति से आम्रपाली की याद को किया ताजा
गुरुवार को वैशाली महोत्सव के तीनदिवसीय आयोजन का समापन हो गया. तीनों दिन विभिन्न जगहों से आये कलाकारों ने अपनी शानदार कला की प्रस्तुति से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. लोगों ने मंत्रमुग्ध होकर कलाकारों की सराहना की. वहीं, स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी छाप छोड़ी. विदेशी सैलानियों ने भी कार्यक्रमों का आनंद उठाया.
वैशाली गढ़ : राजा विशाल की नगरी वैशाली की धरती भारतीय संगीत, नृत्य व ताल की त्रिधाराओं से गुलजार हो उठी. वैशाली महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन तबले की थाप, घुंघरू के बोल, रिद्म ऑफ बिहार एवं शास्त्रीय संगीत के साथ गायिका दीपाली सहाय के गीत-संगीत की ऐसी प्रस्तुति हुई कि दर्शक झूम उठे. आम्रपाली की रंगभूमि पर कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से महोत्सव को यादगार बना दिया. भारतीय संगीत की कलात्मक प्रस्तुति से सभी मुग्ध हो गये थे.
कत्थक नृत्य की हुई अनूठी प्रस्तुति : कत्थक नृत्यांगना सुश्री ग्रेसी सिंह ने अपनी अनूठी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. आम्रपाली की रंगभूमि पर पहली बार अपनी प्रस्तुति देने पहुंची सुश्री सिंह ने आम्रपाली की याद को ताजा कर दिया. गणेश वंदना के बाद तबले की थाप पर जब कत्थक के बोलों को अपने घुंघरु में समाहित किया, तो लोग चकित हो गये. तोड़ा, प्रण टुकरा, गत निकास आदि की प्रस्तुति की. कत्थक गुरु बिल महाराज की रचना नृत्य नाटिका की प्रस्तुति ने समां बांध दिया. शिव-पार्वती अर्धांग विभूति शोभे गीत-नाटिका को खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया. तबले पर वरुण मांजी जबकि बोल पढ़ंत संजीव परिहत ने किया.
रिद्म ऑफ बिहार की प्रस्तुति बना यादगार : बिहार के वरिष्ठ नाल वादक अर्जुन चौधरी की परिकल्पना रिद्म ऑफ बिहार की शानदार प्रस्तुति ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया. 15 वाद्य यंत्रों की एक साथ प्रस्तुति देख दर्शक अचंभित हो गये. कार्यक्रम की प्रस्तुति में वरिष्ठ नाल वादक अर्जुन चौधरी के अलावा तबला श्याम मोहन सिंह, पखावज राजशेखर, ढोलक विजय चौबे, बांसुरी सर्फरूद्दीन, हारमोनियम विनोद, नगाड़ा विनोद पंडित,
सितार नीरज कुमार मिश्रा, डफली, ताशा एवं मंजिरा मनोज कुमार सुमन, हुदका, डंफ और झांझ ऋषिराज, शंख रत्नाकर भट्ट खजरी पर मुकेश कुमार सिंह ने अनूठी संगति की. एक साथ इतने वाद्य यंत्रों की सम्मलित प्रस्तुति हुई. इसके बाद इंडियन आइडियल विजेता गायिका दीपाली सहाय ने एक से बढ़ कर एक गीतों की प्रस्तुति की, जिस पर श्रोता झूमने पर विवश हो गये. उन्होंने प्रसिद्ध पार्श्वगायिका लता मंगेशकर के अलावा कई अन्य गायिकाओं के गीतों की प्रस्तुति की.

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