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लापरवाही : जिले में राष्ट्रीय बाल विकास स्वास्थ्य कार्यक्रम की दुर्गति! बच्चों के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार और बुद्धि विकास व बीमार बच्चों का समुचित इलाज कर उनकी शारीरिक और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाना राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है. सरकार के इस प्रयास पर यहां सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही पानी फेर […]

लापरवाही : जिले में राष्ट्रीय बाल विकास स्वास्थ्य कार्यक्रम की दुर्गति!
बच्चों के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार और बुद्धि विकास व बीमार बच्चों का समुचित इलाज कर उनकी शारीरिक और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाना राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है. सरकार के इस प्रयास पर यहां सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही पानी फेर रहे हैं. जिले में इस महत्वपूर्ण योजना का हाल यह है कि आठ महीने में 20 प्रतिशत लक्ष्य भी हासिल नहीं किया जा सका है.
हाजीपुर : जिले में सरकारी कामकाज का नजारा देखना हो, तो राष्ट्रीय बाल सुरक्षा योजना की दुर्गति देख लीजिये. यहां शून्य से लेकर 18 साल तक के बच्चों के लिए चलाये जा रहा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम नौ दिन चले ढाई कोस के मुहावरे को चरितार्थ कर रहा है. स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ समाज बना सकते हैं.
इस सोच के तहत ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. बच्चों के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार और बुद्धि विकास के लिए बीमार बच्चों को समुचित इलाज कर उनकी शारीरिक और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है. सरकार के इस प्रयास पर यहां सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही पानी फेर रहे हैं.
जिले में इस महत्वपूर्ण योजना का हाल यह है कि आठ महीने में 20 प्रतिशत लक्ष्य भी हासिल नहीं किया जा सका है. कार्यक्रम के तहत जिले भर में 15 लाख 95 हजार बच्चों की स्वास्थ्य जांच कर उनके हेल्थ कार्ड बनाये जाने हैं, जिसमें अभी तक बमुश्किल ढाई लाख बच्चे ही कवर किये जा सके हैं.
महीने आठ, टीमें 28 और उपलब्धि 20 फीसदी भी नहीं : शून्य से लेकर 18 साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण एवं इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग शिक्षा विभाग और बाल विकास परियोजना के समन्वय से कार्यक्रम की शुरुआत की गयी.
वर्ष 2015 के अप्रैल में जिलास्तरीय वर्कशॉप आयोजित कर प्रोग्राम को लागू करने की योजना बनायी गयी. जून महीने से स्वास्थ्य जांच और हेल्थ कार्ड बनाने का काम शुरू हुआ. इसके लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों, कर्मियों, एएनएम आशा एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को विशेष ट्रेनिंग दी गयी थी.
कार्यक्रम की सफलता के लिए हर प्रखंड में दो-दो चलंत चिकित्सा टीम गठित करने और हर टीम में दो आयुष डॉक्टर, एक फर्मासिस्ट तथा एक एएनएम की तैनाती की योजना बनायी गयी. जिले में 16 प्रखंडों के लिए कुल 32 टीमों की जगह अभी तक 28 टीमें ही गठित की जा सकीं. ये टीमें भी कितना काम कर सकीं, यह आंकड़ों से स्पष्ट है.
आंकड़े में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम
जिले भर में इतने बच्चों के बनने हैं हेल्थ कार्ड -15 लाख 95 हजार 058. जून 2015 से जनवरी 2016 तक बने इतने हेल्थ कार्ड -02 लाख 30 हजार 678.
विभिन्न प्रकार की बीमारियों में इतने रेफर किये गये बच्चे- 32 हजार 722.
इतने स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र, जहां अभी तक शुरू नहीं हुआ कार्यक्रम- 03 हजार 837.
स्वास्थ्य जांच के बाद रेफर किये बच्चों में -15 हजार 783 लड़के और 16 हजार 939 लड़कियां.
कवर किये गये बच्चों में – 01 लाख 09 हजार 753 लड़के और 01 लाख 20 हजार 925 लड़कियां.

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