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पीड़ित महिलाओं की आवाज बनीं रामपरी देवी
बेसहारा एवं आर्थिक तंगी की मार सहने वाली हजारों महिलाओं की जिंदगी में खुशी की रंग भरनेवाली रामपरी देवी आज घर-घर की आवाज बन चुकी हैं. कटाई,बुनाई, कढ़ाई एवं अन्य हस्त कला की बदौलत रामपरी ने अपनी पहचान के साथ-साथ कई परिवारों की माली हालात भी सुधार दी है. पीड़ित एवं प्रताड़ित महिलाओं को नयी […]
बेसहारा एवं आर्थिक तंगी की मार सहने वाली हजारों महिलाओं की जिंदगी में खुशी की रंग भरनेवाली रामपरी देवी आज घर-घर की आवाज बन चुकी हैं. कटाई,बुनाई, कढ़ाई एवं अन्य हस्त कला की बदौलत रामपरी ने अपनी पहचान के साथ-साथ कई परिवारों की माली हालात भी सुधार दी है. पीड़ित एवं प्रताड़ित महिलाओं को नयी जिंदगी जीने के तमाम गुर भी सिखा रही हैं.
हाजीपुर : जंदाहा के खोपी गांव की रामपरी अपने घर के सभी दायित्वों को पूरा करते हुए पिछले 20 सालों से महिला उत्थान के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही हैं. अब तक लगभग हजारों महिलाओं को रोजगार की दिशा दिखायी. संघर्ष के साथ वर्ष 1994 से अभी तक महिला उत्थान का बिगुल फू ंकती रही हैं. साघ ही कई गांवों की महिलाओं को स्वरोजगार की मुख्य धारा से जोड़ती चली आ रही हैं.
महिलाओं की पीड़ा देख बनी समाजसेविका : देसरी थाने के पानापुर रघुनाथ गांव के दीप नारायण सिंह की चौथी संतान के रूप में जन्म लेनेवाली रामपरी की शादी 18 वर्ष की उम्र में जंदाहा के खोपी निवासी हरि वल्लभ सिंह से हुई थी.
शादी के बाद ग्रामीण इलाके में महिलाओं की पीड़ा देख इस साहसी महिला ने अपने हुनर का उपयोग कर पीड़ित औरतों के जीवन में हंसी-खुशी लाने की ठान ली. शुरुआत में संसाधन कम होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और निरंतर प्रयास करती रहीं तथा रोजगार की तलाश में भटक रही महिलाओं की एक टीम बना ली. सबों को मोमबत्ती बनाने, चरखा चलाने, पेंटिंग करने, कटाई व बुनाई करने की ट्रेनिंग देना शुरू किया. वर्ष 2000 तक इसी तरह का प्रशिक्षण देकर महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ती रही. लगभग एक हजार से अधिक बेसहारा औरतों को आमदनी का स्नेत स्थापित कर दिया.
बनायी महिला उत्थान सेवा समिति: महिलाओं को इस तरह से स्वरोजगार बनाने के बाद सभी केसहयोग से महिला उत्थान सेवा समिति का गठन किया. इस समिति की वह सचिव बनी और अन्य महिलाओं को समिति में जगह दी. गांव- गांव घूम कर जरूरतमंद महिलाओं को स्वावलंबन के लिए प्रेरित कर स्वयं सहायता समूह का गठन किया. अब तक 50 से अधिक समूह बना चुकी है. सभी का बैंक में खाता भी खुलवा दिया
बैंक से मदद नहीं मिलने का अफसोस : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक कजरी भाथ में कुल पांच सौ से अधिक स्वयं सेवी महिलाओं का खाता है, लेकिन अब तक किसी को अनुदान की राशि नहीं मिल रही है. इसके कारण फिलहाल महिलाओं का रोजगार की दिशा में कार्य बाधित है, लेकिन राम परी ने लगातार अपने प्रयास से बैंक से लोन की सुविधा प्राप्त कर अपने स्वयं सेवी महिलाओं को आगे बढ़ाने को संकल्पित हैं.
क्या कहती हैं समाजसेविका
अब तक जिस तरह जरूरत मंद महिलाओं को आगे बढ़ाने में लगी हूं, यह सिलसिला पूरी उम्र भर जारी रखूंगी. पीड़ित एवं प्रताड़ित महिलाओं के मार्ग दर्शन करने में मेरे परिवार के लोग भी मेरी सहायता करते हैं.
रामपरी देवी, सचिव,
महिला उत्थान सेवा समिति
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