सुपौल : शराब की तस्करी हो या फिर अन्य प्रतिबंधित सामग्रियों की तस्करी, जिले के सीमावर्ती क्षेत्र तस्करों के लिए सेफजोन बना हुआ है. इस मामले में एक तरफ जहां जिला प्रशासन द्वारा सख्त निर्देश जारी किया गया है. वहीं तस्कर व प्रशासन के बीच तू डाल-डाल, मैं पात- पात वाली कहानी चरितार्थ हो रही […]
सुपौल : शराब की तस्करी हो या फिर अन्य प्रतिबंधित सामग्रियों की तस्करी, जिले के सीमावर्ती क्षेत्र तस्करों के लिए सेफजोन बना हुआ है. इस मामले में एक तरफ जहां जिला प्रशासन द्वारा सख्त निर्देश जारी किया गया है. वहीं तस्कर व प्रशासन के बीच तू डाल-डाल, मैं पात- पात वाली कहानी चरितार्थ हो रही है. जिसे सुलझाने में पुलिस प्रशासन के रात की नींद व दिन का चैन उड़ा हुआ है. सीमा पार से जिले में लगातार हो रही शराब की अवैध तस्करी की संभावना को उजागर कर रही है.
पूर्ण शराबबंदी के बाद जहां जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों को पुलिस प्रशासन द्वारा काफी सतर्कता बरतने की बात कही जा रही है. वहीं सीमा पार से कराये जा रहे शराब के कारोबार की सक्रियता को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. जबकि हाल के अप्रैल माह में एसएसबी को इस मामले में बड़ी सफलता भी हासिल हुई है. एसएसबी और उत्पाद विभाग ने कोसी नदी में नौका सहित दो हजार 47 बोतल नेपाली शराब की बड़ी खेप को जब्त करने में सफलता हासिल किया था.
वहीं कारोबारी पुलिस जवान को चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहा. मालूम हो कि उससे पूर्व भी नौका, नाविक सहित 18 सौ बोतल नेपाली शराब की खेप का उद्भेदन किया गया था.
सेफ जोन बना है भारत-नेपाल खुली सीमा : बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद से भारत नेपाल खुली सीमा और सीमावर्ती क्षेत्र स्थित कोसी नदी का इलाका तस्करों का सेफ जोन बना हुआ है. प्रशासन भी महसूस कर रहा है कि कोसी नदी के रास्ते भारी पैमाने पर शराब तस्करी करायी जा रही है. साथ ही समय-समय पर भारी पैमाने पर शराब की बरामदगी भी हो रही है. बावजूद इसके पुलिस को इस मामले में शत प्रतिशत सफलता हासिल नहीं हो पा रही है. जिस कारण फिलवक्त शराब के शौकीनों को ऊंची कीमतों में ही सही, शराब मुहैया होता रहा है. यहां तक कि भारत नेपाल से सटे सुपौल जिले के लगभग 42 किलोमीटर की खुली सीमा के कारण शराब के अवैध कारोबारी इसका बेझिझक फायदा उठा रहे है. आमलोगों के बीच इस बात की चर्चा भी हो रही है कि शराब कारोबारी बड़े ही आसानी से नाव के सहारे शराब की खेप को नेपाल के बाजार से भारत की सीमा में प्रवेश करा देते है.
तस्करों के लिए कोसी नदी का रास्ता है आसान
जानकारों की माने तो कोसी नदी के पानी का स्तर जब घट जाता है. ऐसी स्थिति में नदी की कई धाराएं बन जाती है. जहां प्रशासन के लिए 24 घंटे नौका से गश्त कराना मुश्किल है. साथ ही रेत के अलावे कई नदी को पार करना नामुमकीन साबित हो जाता है. वहीं सीमा पर तैनात जवान समुचित तरीके से गश्त भी नहीं लगा पाते हैं. इतना ही नहीं सीमांकन के लिए लगाये गए पिलर भी अधिकांश गायब हो चुके हैं. जिस कारण पुलिस जवानों के लिए सीमा का निर्धारण करना मुश्किल हो जाता है. भारत नेपाल मैत्री संधि के तहत एक दूसरे देश के जवानों को हथियार लेकर सीमा पार करने में भारी परेशानी होती है. जिस कारण तस्कर द्वारा अपनाये जा रहे हथकंडे को रोक पाना काफी मुश्किल हो जाता है. बावजूद इसके जवानों को समय- समय पर कामयाबी मिलती रहती है. लेकिन कोसी नदी के सहारे शराब की तस्करी किया जाना बड़ा कारण गिनाया जा रहा है. स्थानीय लोगों की माने तो कई बार नेपाल प्रभाग से तस्कर नाव पर शराब की बोतल लाद कर बिना नाविक के ही छोड़ देते हैं. साथ ही अन्य नाव से शराब से लदी नाव की गतिविधि को भांपते रहते हैं.
सीमावर्ती इलाके पर पुलिस प्रशासन सतर्कता बरत रही है, कोसी के कछार वाले क्षेत्रों में नाव के सहारे निरंतर गश्त लगाये जाने का कार्य जारी है. गश्ती के दौरान पुलिस तस्करों के नापाक इरादे पर सफलता हासिल कर रही है.
डॉ कुमार एकले, पुलिस अधीक्षक, सुपौल