सुपौल : बच्चों को पठन-पाठन के साथ-साथ शारीरिक व स्वास्थ्य शिक्षा देने के लिए मध्य व उच्च विद्यालयों में एकल शारीरिक शिक्षक प्रशिक्षित पद पर नियुक्ति की गयी है, लेकिन सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इन्हें अप्रशिक्षित मानते हुए पत्र निर्गत किया गया है. उक्त आदेश के विरोध में बिहार शारीरिक शिक्षा शिक्षक संघ के जिला इकाई द्वारा शिक्षकों के ‘सम्मान बचाओ चिंतन शिविर’ का आयोजन 11 फरवरी को स्थानीय स्टेडियम में किया जायेगा. सोमवार को संघ के इकाइयों ने स्थानीय स्टेडियम परिसर में बैठक की, जिसकी अध्यक्षता जिला संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार यादव ने की.
बैठक को संबोधित करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि देश के संविधान में सभी तबके का सम्मान व ख्याल रखा गया है. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शिक्षकों के हित में समान काम समान वेतन का अहम फैसला आ चुका है, जबकि शारीरिक शिक्षा शिक्षक को प्रशिक्षित मानते हुए 2006 व 2008 में तथा 34 हजार 540 शिक्षकों की नियुक्ति में शारीरिक शिक्षकों को प्रशिक्षित मान कर सामान्य शिक्षकों की भांति वेतन निर्धारित करते हुए भुगतान किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में अप्रसांगिक पत्र निर्गत करना शिक्षकों का सम्मान देकर मानसिक प्रताड़ना देने जैसा कृत्य है. राज्य प्रतिनिधि डॉ रवि भूषण प्रसाद ने एमपी शुक्ल,
निदेशक सह संयुक्त सचिव के पत्रांक 6066 दिनांक 24 नवंबर 1986 का हवाला देते हुए बताया कि उक्त पत्र में अंकित है कि शारीरिक प्रशिक्षक को सामान्य शिक्षक की कोटि में सरकार द्वारा मान लिया गया है. सर्वोच्च न्यायालय के निदेश पर 34 हजार 540 शिक्षकों की नियुक्ति में शारीरिक शिक्षा शिक्षक को सामान्य शिक्षकों की भांति प्रशिक्षित का वेतनमान दिया गया है.
मौके पर जिला सचिव श्यामल किशोर कामत ने कहा कि अगर सरकार इस प्रकार के तुगलकी फरमान को वापस नहीं लेगी, तो शिक्षकों को बाध्य होकर न्यायालय का शरण लेना पड़ेगा. बैठक में विनोद कुमार पाठक, आनंद, जय शंकर प्रसाद, दशरथ साह, अरुण कुमार शर्मा, बद्री नाथ झा, जय शंकर गांधी, जय प्रकाश कुमार, राज किशोर साह आदि उपस्थित थे.