सुपौल : आधुनिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों की समस्याएं व विभिन्न अन्य मांगों को लेकर बुधवार को आइएमए सुपौल द्वारा जिला मुख्यालय में सत्याग्रह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान आइएमए से जुड़े चिकित्सकों ने सदर अस्पताल परिसर से मार्च निकाला. जिसमें शामिल चिकित्सकों ने विभिन्न मांगों से संबंधित तख्तियां लिये शहर के प्रमुख […]
सुपौल : आधुनिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों की समस्याएं व विभिन्न अन्य मांगों को लेकर बुधवार को आइएमए सुपौल द्वारा जिला मुख्यालय में सत्याग्रह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान आइएमए से जुड़े चिकित्सकों ने सदर अस्पताल परिसर से मार्च निकाला. जिसमें शामिल चिकित्सकों ने विभिन्न मांगों से संबंधित तख्तियां लिये शहर के प्रमुख मार्गों का भ्रमण किया. जिसके बाद चिकित्सकों द्वारा समाहरणालय द्वार पर धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किया गया.
धरना को संबोधित करते आइएमए के अध्यक्ष डॉ सीके प्रसाद व सचिव डॉ बीके यादव ने बताया कि आइएमए दुनिया में भारतीय चिकित्सकों का सबसे बड़ा संघ है. सरकार की नीतिगत निर्णयों में हमेशा वह सहयोग करती रही है. विभिन्न राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत देश के स्वास्थ्य मानकों के सुधार में आइएमए ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. प्रधानमंत्री के आह्वान पर स्वच्छ भारत-स्वस्थ्य भारत व प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में उन्होंने पुरजोर भागीदारी का संकल्प लिया है,
लेकिन देश की पूर्व केंद्रीय सरकार ने कई ऐसे निर्णय लिये, जिससे आधुनिक चिकित्सा पद्धति से जुड़े लोगों के समक्ष गंभीर संकट पैदा हो गया है. उन्होंने प्रस्तावित एनएमसी बिल की चर्चा करते कहा कि इस बिल से आधुनिक चिकित्सा शिक्षा एवं पद्धति को गंभीर संकट दिखायी दे रहा है. क्लिनीकल इस्टेब्लिसमेंट एक्ट पर बोलते उन्होंने कहा कि छोटे एवं मंझोले इस्टेब्लिसमेंट को इनसे मुक्त रखा जाय तथा राज्य मेडिकल काउंसिल में एक बार रजिस्ट्रेशन की वयवथा हो. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय उनके कई सुझावों पर सहमत होने के बावजूद इसे कार्यान्वित नहीं कर रही है.
चिकित्सकों ने अपने संबोधन में व्यवसायिक एवं कार्य स्थल पर सुरक्षा के लिए कानून, पीसीपी एनडीटी कानून में संशोधन, आधुनिक चिकित्सा पद्धति में गैर वैज्ञानिक मिश्रण को बंद करने, समान काम के लिए समान वेतन देने आदि की मांग की. चिकित्सकों पर आये दिन हिंसा व उनके विरुद्ध झूठे मुकदमे के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है. इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार को अविलंब एक राष्ट्रीय कानून बनाना चाहिये. उन्होंने पीसीपी एनडीटी कानून में भूल के कारण चिकित्सकों को सजा का प्रावधान को अनैतिक बताते हुए इसमें संशोधन की मांग की. जब दुर्घटनाओं में मुआवजे की अधिकतम राशि तय की जाती है, तो चिकित्सकों के मुआवजे पर भी पैसा क्यों नहीं दिया जाता है.
चिकित्सकों ने छोटी ट्रेनिंग के बाद आधुनिक चिकित्सा पद्धति से इलाज की इजाजत को आत्मघाती कदम बताया.
साथ ही समान काम के लिये समान वेतन की भी मांग की. उन्होंने कहा कि आइएमए द्वारा उपरोक्त बिंदुओं को लगातार सरकार के संज्ञान में दिया जा रहा है. बावजूद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस दिशा में पहल नहीं कर रही है. चिकित्सकों ने प्रधानमंत्री के नाम जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. जिसमें प्रधानमंत्री से इस दिशा में पहल करने की मांग की गयी है. इस अवसर पर डॉ जेलाल, डॉ घनश्याम सिंह, डॉ ओपी अमन, डॉ अजीत लाल दास, डॉ अरूण कुमार वर्मा, डॉ नूतन वर्मा, डॉ अनित चौधरी, डॉ बालमुकुंद लाल, डॉ महेंद्र चौधरी, डॉ संजय झा, डॉ महेंद्र चौधरी, राजा राम गुप्ता आदि सत्याग्रह में शामिल थे.