सरायगढ़ : कोसी बराज से मंगलवार को करीब तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद कोसी तटबंध के भीतर बसे गांवों में त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है. नदी में आये उफान की वजह से प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत तटबंध के भीतर बसे दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. वहीं दो दर्जन से अधिक घर कोसी नदी में विलीन हो चुके हैं. विस्थापित परिवार पूर्वी कोसी तटबंध एवं अन्य सुरक्षित स्थानों पर शरण लेकर रह रहे हैं. इन लोगों को अब तक किसी प्रकार की सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं करायी गयी है. सबसे विकट स्थिति बनैनियां व ढ़ोली पंचायत की है.
इन दोनों पंचायत के कई गांव बाढ़ के पानी से पूर्णतया डूब चुका है. वहीं प्रखंड के लौकहा, भपटियाही, सरायगढ़ आदि पंचायत क्षेत्र में भी व्यापक रूप से तबाही मची हुई है. प्रखंड के ढ़ोली, बनैनियां, बलथरवा, सियानी, भुलिया, कटैया, गिरधारी, उग्रीपट्टी, तकिया, लौकहा पलार, कोढ़ली, सिहपुर, पुरानी भपटियाही आदि दर्जनों गांव में तीन से चार फीट तक पानी प्रवेश कर गया है. अचानक नदी में आये उफान के बाद कोसी पीड़ितों का जीना मुहाल हो गया है. बाढ़पीड़ितों ने प्रशासन से तत्काल इस क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में नाव उपलब्ध कराने की मांग की है.
अधिकारियों ने लिया जायजा: मंगलवार को डीएम बैद्यनाथ यादव, एसपी डॉ कुमार एकले, सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के आपदा नोडल पदाधिकारी सह जिला भू-अर्जन पदाधिकारी विमल कुमार मंडल ने सीओ शरत कुमार मंडल के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया. इस दौरान डीएम ने अधिकारियों को कोसी तटबंध के सभी नाजुक बिंदुओं पर विशेष रूप से नजर रखने का निर्देश दिया. वहीं बाढ़ प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया. सीओ ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में 12 सरकारी तथा 15 निजी 27 नावों का परिचालन किया जा रहा है.
आवश्यकता अनुसार नाव की संख्या में और वढ़ोतरी की जायेगी. वहीं जिला आपदा पदाधिकारी विमल कुमार मंडल ने बताया कि ढ़ोली पंचायत के 19 विस्थापित परिवारों को आरटीजीएस के माध्यम से खाते में राशि उपलब्ध करायी गयी है. शेष परिवारों को भी शीघ्र ही राशि उपलब्ध कराया जायेगा.
खुले में रह रहे विस्थापित
बाढ़ व कटाव से विस्थापित परिवार के लोग पूर्वी कोसी तटबंध एवं अन्य स्थानों पर खुले में रहने को विवश हैं. अब तक इन लोगों के बीच प्रशासन द्वारा तीन किलो चूरा, 250 ग्राम चीनी व एक पॉलीथिन सीट के अलावा कोई मदद नहीं मिल पाया है. प्रखंड के विभिन्न पंचायतों से विस्थापित हो कर तटबंध पर शरण लिये सत्य नारायण सरदार, फुलेश्वर राम, लक्ष्मी राम, बद्री शर्मा, कृष्णमोहन यादव, दुखा सरदार, बेचन सरदार आदि ने बताया कि प्रशासन द्वारा उन लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है. समुचित व्यवस्था उपलब्ध नहीं रहने के कारण खुले आसमान के नीचे रहने को विवश होना पड़ रहा है.