जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मियों द्वारा अंजाम दिये गये करोड़ों रुपये के दवा घोटाले मामले में रोज नया-नया खुलासा सामने आ रहा है.
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परत दर परत उठने लगा दवा घोटाले से परदा
जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मियों द्वारा अंजाम दिये गये करोड़ों रुपये के दवा घोटाले मामले में रोज नया-नया खुलासा सामने आ रहा है. सुपौल : करोड़ों रुपये के इस दवा घोटाले को अंजाम देने की फुल प्रूफ रणनीति पूर्व सिविल सर्जन डॉ उमाशंकर मधुप के कार्यकाल में ही तैयार कर लिया गया […]
सुपौल : करोड़ों रुपये के इस दवा घोटाले को अंजाम देने की फुल प्रूफ रणनीति पूर्व सिविल सर्जन डॉ उमाशंकर मधुप के कार्यकाल में ही तैयार कर लिया गया था. इस दौरान लूट के राह में बाधा उत्पन्न करने वाले कर्मियों को बिना किसी ठोस वजह के कार्यालय से हटा कर जिले के अन्य पीएचसी में पदस्थापित किया गया. करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने के दौरान दवा खरीद मामले में प्राप्त विभागीय आदेश की जमकर धज्जियां उड़ायी गयी. भारी कमीशन के लालच में विभाग द्वारा अधिकृत एजेंसी के बजाय एक ही व्यक्ति के पटना, दरभंगा स्थित अलग-अलग फॉर्मों से दवाओं की खरीददारी की गयी.
इस दौरान भारी पैमाने पर ऐसी दवाओं की खरीददारी की गयी, जो दवा पहले से जिला औषधि भंडार केंद्र के गोदाम में बेकार पड़े हुए थे. दवा की खरीददारी होने के बाद वर्तमान भंडारपाल ने कम समय अवधि में एक्सपायर होने वाले दवाओं को खपाने की पुरजोर कोशिश भी की. लेकिन भंडारण के अनुपात में खपत नहीं रहने के कारण करोड़ों रुपये के दवा खरीदने के महज कुछ माह बाद एक्सपायर हो गये. जिसे दवा घोटाला में शामिल माफियाओं ने नदी नाला में बहा दिया.
मनमाने तरीके से हुई थी दवा की खरीदारी : जीवन रक्षक दवाओं की जिला स्तर पर खरीददारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रधान सचिव ने सुपौल के तत्कालीन सिविल सर्जन उमा शंकर मधुप को विभागीय पत्र भेज कर बीएमएसआईसीएल के वेयर हाउस में उपलब्ध 121 प्रकार की औषधि, सर्जिकल सामग्री सहित रिएजेंट की सूची संलग्न कर दवाओं की खरीददारी हेतु अधियाचना भेजने का निर्देश दिया था. इसी बीच वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिये दवा क्रय से संबंधित निविदा की शर्त पूरा नहीं होने के बावजूद सिविल सर्जन ने सारे नियमों की अनदेखी कर आनन-फानन में मोटी रकम के बंदर बांट के लिये वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिये अनुमोदित दरों पर अपने चहेते प्रतिष्ठान से करोड़ों रुपये मूल्य की दवा खरीद कर लिया.
और तो और दवा खरीद में भारी धांधली बरतते हुए एक ही व्यक्ति के अलग-अलग नाम से खोले गये प्रतिष्ठान से दवा खरीद की गयी. हालांकि इस दौरान विभागीय स्तर पर इस बंदर बांट की कहानी उजागर होने के बाद तत्कालीन सिविल सर्जन उमाशंकर मधुप ने तत्काल अपना तबादला करवा लिया. बाद में वर्तमान सिविल सर्जन डॉ रामेश्वर साफी ने दवा खरीद को लेकर संबंधित एजेंसियों को भुगतान किया.
शौचालय टंकी से बरामद दवा.
महंगे और शॉट एक्सपायरी दवाओं की हुई खरीदारी
दो-दो सिविल सर्जन की मिली भगत से सरकार द्वारा उपलब्ध करवाये गये करोड़ों रुपये का अनियमित ढंग से दवाओं का क्रय किया गया. हैरत की बात है कि पूर्व से गोदाम में बर्बाद हो रहे दवाओं का भी भारी मात्रा में खरीददारी की गयी थी. जानकार बताते हैं कि कमीशन के इस खेल में शामिल अधिकारी और कर्मी सरकारी राशि के समायोजन के लिये दवाओं की खरीददारी कर रहे थे. खरीददारी के दौरान महंगे मूल्य के एनटीबाईटिक दवाओं की जान बूझ कर खरीददारी की गयी. एक टेबलेट 20 रुपये में मिलने वाले महंगे दवाओं की भारी पैमाने पर खरीददारी की गयी थी.
इन शॉट एक्सपायरी दवाओं को खपाने के लिये वर्तमान भंडारपाल ने जी-जान लगा दिया था. लेकिन खपत से अधिक खरीदे गये दवाओं को वितरित नहीं कर सके. जानकार बताते हैं कि पीएचसी से जब दवा का ऑडर जिला भंडार गृह पहुंचता था तो पीएचसी प्रभारी के द्वारा भेजे गये सूची के अलावा सूची में अन्य दवाओं के नाम जोड़कर संबंधित पीएचसी को बे वजह ऐसे दवाओं का खेप भेजा जाता था. ऐसी सभी दवाएं आज भी पीएचसी के गोदामों में बर्बाद हो रही है.
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