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अनदेखी. आठ माह से बिना काम किये प्राप्त कर चुके हैं लाखों रुपये

काम शून्य, वेतन एक लाख विभागीय कर्मी, शिक्षक एवं आम लोगों को उनके बारे में नहीं है जानकारी अधिकारियों की मेहरबानी से शिक्षक व शिक्षिकाओं द्वारा घर बैठे वेतन का लाभ लेने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि शिक्षा विभाग के एक वरीय पदाधिकारी द्वारा ही बिना काम किये घर बैठे वेतन का […]

काम शून्य, वेतन एक लाख

विभागीय कर्मी, शिक्षक एवं आम लोगों को उनके बारे में नहीं है जानकारी
अधिकारियों की मेहरबानी से शिक्षक व शिक्षिकाओं द्वारा घर बैठे वेतन का लाभ लेने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि शिक्षा विभाग के एक वरीय पदाधिकारी द्वारा ही बिना काम किये घर बैठे वेतन का लाभ लेने का मामला प्रकाश में आया है.
सुपौल : ले के शिक्षा विभाग में पदस्थापित अधिकारी अगर चाह लें तो कुछ भी हो सकता है. ये अधिकारी अपनी हैसियत व पहुंच के दम पर नामुमकिन को भी मुमकिन बनाने में सक्षम हैं. चाहे वह नियम-कानून व विभगीय निर्देश के विपरीत ही क्यों ना हो. अधिकारियों की मेहरबानी से शिक्षक व शिक्षिकाओं द्वारा घर बैठे वेतन का लाभ लेने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि शिक्षा विभाग के एक वरीय पदाधिकारी द्वारा ही बिना काम किये घर बैठे वेतन का लाभ लेने का मामला प्रकाश में आया है.
उक्त अधिकारी बिना काम किये ही प्रति माह करीब एक लाख रुपये वेतन के मद में प्राप्त कर विभाग को चूना लगा रहे है. यह मामला शिक्षा विभाग में पदस्थापित अवकाश रक्षित पदाधिकारी मो हारुण से जुड़ा हुआ है.श्री हारुण बीते आठ माह से बिन कोई काम किये घर बैठे वेतन के मद में लाखों रुपये प्राप्त कर चुके हैं. ऐसा भी नहीं है कि इस मामले की जानकारी विभाग के अधिकारियों को नहीं है.जानकारी अनुसार विभागीय पदाधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं. अधिकारियों के इस रवैये से केवल आम लोग ही नहीं बल्कि विभागीय कर्मी व शिक्षक भी हैरत में हैं.
काम शून्य पार मिल रहा वेतन : अगस्त 2015 में पूर्णिया से तबादला हो कर आये अवकाश रक्षित पदाधिकारी मो हारुण को सुपौल में योगदान किये आठ माह बीत चुका है. इस अवधि में उनके द्वारा एक भी काम करने का साक्ष्य नहीं है.
श्री हारुण ने जिला में योगदान के बाद ना तो किसी विद्यालय का निरीक्षण किया और ना ही इनके द्वारा किसी संचिका के निष्पादन का प्रमाण है. इतना ही नहीं शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित किसी बैठक में भी इन्होंने भाग लेना उचित नहीं समझा. हाल में संपन्न इंटर मीडिएट एवं मैट्रिक की परीक्षा में भी इनकी ड्यूटी नहीं लगी थी. वहीं जिला स्थापना दिवस पर जहां जिले के सभी वरीय एवं कनीय पदाधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए, इन्हें किसी ने भी नहीं देखा.स्थिति यह है कि शिक्षक, शिक्षा विभाग के कर्मचारी, आम जनता, राजनीतिक दलों से जुड़े लोग यहां तक की मीडिया कर्मियों से भी कभी उनकी मुलाकात नहीं हुई है.इन सब के बावजूद इनके वेतन मद में विभाग द्वारा प्रति माह करीब एक लाख रुपये व्यय किये जा रहे हैं.
अवकाश रक्षित पदाधिकारी का काम
शिक्षा विभाग द्वारा अधिकारियों की अनुपस्थिति में कार्य बाधित नहीं होने के उद्देश्य से अवकाश रक्षित पदाधिकारी का पद सृजित किया गया.अवकाश रक्षित पदाधिकारी का कार्य यह है कि यदि जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अथवा कार्यक्रम पदाधिकारी अवकाश में हैं तो इस स्थिति में अवकाश रक्षित पदाधिकारी उक्त प्रभार में रह कर कार्यों का निष्पादन करेंगे. आठ माह की अवधि में कई अधिकारी अवकाश पर गये, लेकिन कभी भी अवकाश रक्षित पदाधिकारी को प्रभार नहीं मिला.इतना ही नहीं जिले में एक डीपीओ एवं तीन पीओ का पद रिक्त रहने के बावजूद इन्हें कोई दायित्व नहीं दिया जाना जांच का विषय है.
घर बैठे ले रहे हैं वेतन का लाभ
अवकाश रक्षित पदाधिकारी श्री हारुण जिला में योगदान के बाद से लगातार घर बैठे वेतन का लाभ ले रहे हैं.या ये कहा जाय कि अवकाश रक्षित पदाधिकारी अवकाश पर ही रहते हैं तो गलत नहीं होगा.जानकारी अनुसार उक्त पदाधिकारी का ना तो कोई अपना कार्यालय है और ना ही कोई निश्चित स्थान.नतीजतन वे लगातार घर बैठे ही वेतन का लाभ ले रहे हैं जिन्हें स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है.
कहते हैं अधिकारी
इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारी से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया.लेकिन उनसे संपर्क स्थापित नहीं हो पाया. वहीं डीपीओ स्थापना दिनेश्वर यादव ने बताया कि सामान्य लोगों को उनसे कोई काम नहीं पड़ता. इसलिए लोग उन्हें नहीं जानते हैं. घर बैठे वेतन का लाभ लेने के मामले में उन्हें जानकारी नहीं है.

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