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बेकार साबित हो रही जलमीनार

आम लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराये जाने के उद्देश्य से राघोपुर प्रखंड मुख्यालय में करोड़ों की लागत से बनी जलमीनार लोगों का मुंह चिढ़ा रही है. यह जलमीनार ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत एक करोड़ सात लाख 61 हजार की लागत से बनाया गया था. लगभग पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रखंड […]

आम लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराये जाने के उद्देश्य से राघोपुर प्रखंड मुख्यालय में करोड़ों की लागत से बनी जलमीनार लोगों का मुंह चिढ़ा रही है. यह जलमीनार ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत एक करोड़ सात लाख 61 हजार की लागत से बनाया गया था. लगभग पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रखंड के लोगों को अब तक शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पाया है.
करजाइन : शुद्ध पेयजल के लिए लालायित लोग राघोपुर प्रखंड मुख्यालय में जलमीनार के बनने के बाद उत्साहित थे. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण यह जलमीनार प्रखंडवासियों के लिए महज शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. पांच वर्ष पूर्व बना जलमीनार बेकार साबित हो रहा है.
गौरतलब हो कि राघोपुर प्रखंड के सिमराही, पिपराही, दुर्गापुर सहित बाजार क्षेत्र के हजारों की आबादी को स्वच्छ जल की आपूर्ति को लेकर सरकार व विभागीय प्रयास से ग्रामीण जल आपूर्ति योजना तहत वित्तीय वर्ष 2010-11 में करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर जलमीनार बनवाया गया. जलमीनार के बनने के उपरांत प्रायोगिक तौर पर क्षेत्र भर में एक दिन के लिए जल की निकासी भी करायी गयी. लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही साबित हो रहा है. ऐसी बात नहीं है कि उक्त जलमीनार से उपलब्ध कराये जाने वाली सेवा के मामले की जानकारी संबंधित विभाग को नहीं हैं. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण लोगों को समुचित योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
नलका में लग रहा जंग
शुद्ध पेयजल के लिए जनमीनार के निर्माण के साथ – साथ क्षेत्र भर में पाइप भी बिछायी गयी. साथ ही दर्जनों स्थानों सहित सार्वजनिक स्थलों पर पक्कीकरण का कार्य कर नलका भी लगाया गया. ताकि स्थानीय सहित आवाजाही करने वालों को स्वच्छ व आयरन मुक्त पानी उपलब्ध हो सके. लेकिन संबंधित विभाग द्वारा उक्त सभी नलका का समुचित रख रखाव नहीं कराये जाने के कारण पाइप सहित नलका जहां जीर्णशीर्ण अवस्था में है, वहीं कई स्थानों पर नलका व टूटा जंग के हवाले हो चुका है.
क्या कहते हैं लोग
स्थानीय ग्रामीण मनोज झा ने बताया कि जलमीनार के निर्माण के बाद लोगों को स्वच्छ पानी पीने की उत्सुकता जगी और पंचयात के दर्जनों लोग स्वच्छ पानी के लिए विभागीय चक्कर भी काटने लगे लेकिन विभागीय शिथिलता के कारण कनेक्शन तो दूर, जगह जगह सड़क के किनारे बनाया गया स्टैंड पोस्ट भी खंडहर में तब्दील हो गया है.
वहीं, विनोदा नंद बताते हैं कि इस जलमीनार से न सिर्फ लोगो को स्वच्छ पानी की आस पर पानी फिरा. बल्कि करोड़ों की लागत से बनाया गया जलमीनार शोभा की वस्तु मात्र बन कर रह गया.
बताया कि स्थानीय विभाग द्वारा जन सरोकार के निमित्त संचालित कार्यों में रूचि नहीं ले रहे हैं जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है. जबकि निखिल पंसारी ने बताया कि जलमीनार के निर्माण के समय क्षेत्रवासियों को आस जगी थी कि अब महानगरों की भांति राघोपुर प्रखंड में भी आम लोगों को स्वच्छ जल उपलब्ध होगा. लेकिन विभागीय लापरवाही व अधिकारियों के मनमानी रवैया के कारण यह योजना खाओं पकाओ योजना साबित हो रही है. अमरजीत शाह बताते हैं कि सभी जानते हैं की जल ही जीवन है.
लेकिन शुद्ध पेयजल के लिए करोड़ों की राशि खर्च करने के बाद भी इसका समुचित लाभ स्थानीय लोगों को नहीं मिल पा रहा है. मो मोफिल ने कहा कि सरकार द्वारा योजना संचालित कर जलमीनार का निर्माण करा दिया गया. लेकिन जलमीनार के संचालन को लेकर समुचित पहल नहीं किया गया है. साथ ही स्थानीय विभाग को जानकारी देने के बाद भी किसी प्रकार का पहल नहीं किया जा रहा है. जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
सन्नी चौधरी ने कहा कि जलमीनार के ऊपर करोड़ों की राशि खर्च किया गया. लेकिन इसके रख रखाव की दिशा में किसी प्रकार का पहल नहीं किया जा रहा है. जिस कारण एक तरफ जहां सरकारी राजस्व को क्षति पहुंच रही है. वहीं सभी संसाधन रहने के बावजूद स्थानीय लोग पेयजल की सुविधा से वंचित हैं.

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